टिप्पणी : इच्छोगिल नहर
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डोगरई की लड़ाई में भाग लेने वाले सैनिक प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के साथ. शास्त्री के ठीक पीछे हैं कर्नल हेड.
6 सितंबर, 1965 को सुबह 9 बजे 3 जाट ने इच्छोगिल नहर की तरफ़ बढ़ना शुरू किया.
नहर के किनारे हुई लड़ाई में पाकिस्तानी वायु सेना ने बटालियन के भारी हथियारों को बहुत नुक़सान पहुंचाया. इसके बावजूद 11 बजे तक उन्होंने नहर के पश्चिमी किनारे पर पहले बाटानगर पर कब्ज़ा किया और फिर डोगरई पर.
सुनिए: डोगरई के हीरो कर्नल हेड
लेकिन भारतीय सेना के उच्च अधिकारियों को उनके इस कारनामे की जानकारी नहीं मिल पाई. डिवीजन मुख्यालय को कुछ ग़लत सूचनाएं मिलने के बाद उनसे कहा गया कि वो डोगरई से 9 किलोमीटर पीछे हटकर संतपुरा में पोज़ीशन ले लें.
वहाँ उन्होंने अपने ट्रेन्चेज़ खोदे और पाकिस्तानी सैनिकों के भारी दबाव के बावजूद वहीं डटे रहे.
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