त प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1-कवि रविदास सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सभै सरै।-आशय स्पष्ट कीजिए।
नारे
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कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सभै सरै॥ रैदास के पद भावार्थ : रैदास के पद की प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने प्रभु की कृपा एवं महिमा का वर्णन किया है। उनके अनुसार इस संपूर्ण जगत में प्रभु से बड़ा कृपालु और कोई नहीं। ... प्रभु की इस कृपा की वजह से कवि को अपने माथे पर राजाओं जैसा छत्र महसूस हो रहा है।
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