Hindi, asked by atif9205, 1 year ago

टीपू सुलताल पर निबन्ध | Write an Essay on Tipu Sultan in Hindi

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Answered by Anonymous
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मैसूर का सिंह टीपू सुल्तान अपने पिता की तरह प्रजापालक, परिश्रमी, विचरवान, नवीन सोच और क्रियाशील मस्तिष्क वाला शासक था । उसका चरित्र दुर्गुणों से मुक्त था । वह आत्मस्वाभिमानी, ईश्वर-भक्त, स्वाधीनता-प्रेमी, कुशल राजनीतिज्ञ था । वह धार्मिक दृष्टि से उदार और सहिष्णु था ।

1782 में अपने पिता हैदरअली की मृत्यु के बाद टीपू मैसूर का शासक बना । वह अपने पिता की तरह महत्त्वाकांक्षी और कुशल सेनानायक तो था, किन्तु उसकी तरह कूटनीतिज्ञ नहीं था । वह अंग्रेजों का कट्टर शत्रु था । उनकी शक्ति को नष्ट करने का साहस रखता था । वह स्वतन्त्रता का ऐसा पुजारी था, जो भारतमाता को अंग्रजों को बेचने के लिए तैयार नहीं था । उसने कभी भी लालच में आकार देशी राज्यों के विरुद्ध अंग्रेजों का साथ नहीं दिया ।

दूसरे अंग्रेज-मैसूर युद्ध के दौरान 1782 में पिता हैदर की मृत्यु के बाद वह गद्दी पर बैठा था । समय के साथ अपने को बदलने की इच्छा उसमें इतनी अधिक बलवती थी कि उसने नये कैलेण्डर को लागू करवाया । विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन दिया । नौ आयुक्तों की व्यापार परिषद् स्थापित की, जो सामुद्रिक तथा स्थल व्यापार को बढ़ावा देती थी ।

उसने नाप-तौल की विधि में आर किया । सिक्के ढलाई नयी प्रणाली कायम की । घूसखोर अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की । उसने सेना को पुनर्गठित करते हुए विभिन्न स्तरों पर उनके कर्तव्य निश्चित किये । वह पढ़ने-लिखने का इतना शौकीन था कि उसके निजी पुस्तकालयों में धर्म, इतिहास, सैन्य, गणित, ओषधि, विज्ञान तथा विविध विषयों की पुस्तकें थीं ।

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