तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग रहा है पंक्ति का आशय स्पष्ट करें पाठ बालगोबिन भगत
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तेरी गठरी में लागा चोर मुसाफिर जाग जरा।
➲ ‘बालगोबिन भगत’ पाठ में कबीर के दोहों की इन पंक्तियों बालगोबिन भगत गाते थे।
कबीर इन पक्तियों के माध्यम से इस जीवन यात्रा पर चल रहे आमजन को सावधान करना चाह रहे हैं। जिन्होंने अपने अच्छे कर्मों द्वारा पुण्य कमाया है और जो पुण्य की गठरी उनके पास है। ऐसे जीवन यात्री सावधान हो जाएं। क्योंकि उनकी इस पुण्य की गठरी पर चोरों की नजर है। हो सकता है कि सत्कर्मियों की इस गठरी को चुराकर चोर थोड़े से पुण्य अपने हिस्से में जोड़ लेना चाहते हो। इसीलिए सत्कर्म करने वाले लोग ऐसे चोरों से सावधान रहें।
सीधा सरल अर्थ यह है कि सत्कर्म करने वाले लोग बुरे कर्म करने वाले लोगों से सावधान रहें। ऐसा न हो कि उनके अच्छे कर्मों का जो फल है वह दुष्कर्म करने वालों की संगत में आकर नष्ट हो जाये अर्थात सत्कर्म करने वाले भी अपनी सत्कर्मी छोड़ दें।
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