तेरा लाल मेरा माखन खायो निम्नलिखित पद का भावार्थ स्पष्ट करें
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भावार्थ :-- सूरदास जी कहते हैं- (एक गोपी उलाहना देती है-) तुम्हारे लालने मेरा मक्खन खाया है । दिन में दोपहर के समय घर को सुनसान समझकर स्वयं ढूँढ़-ढ़ाँढ़कर इसने स्वयं खाया ( अकेले ही खा लेता तो कोई बात नहीं थी। किवाड़ खोलकर, घर में घुसकर सारा दूध -दही इसने सखाओं को खिला दिया ।
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