Hindi, asked by sonaann9495, 5 months ago

तेरै लाल मेरौ माखन खायौ।
दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढूंढ़ि-ढंढोरि आपही आयौ।
खोलि किवारि, पैठि मंदिर मैं, दूध-दही सब सखनि खवायौ।
ऊखल चढ़ि, सीके कौ लीन्हौ, अनभावत भुइँ मैं ढरकायौ।
दिन प्रति हानि होति गोरस की, यह ढोटा कौनै ढंग लायौ।
सूर स्याम कौं हटकि न राखै तैं ही पूत अनोखौ जायौ।​

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Answered by mdmsiwan
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Answer:

hay ye kya hai

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