'टी - सेरेमनी ' की तैयारी और उसके प्रभाव पर चर्चा कीजिए I
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टी सेरेमनी की तैयारी मेरे घर में शुरू हो चुकी है बहुत ही अच्छे से उसने बहुत से खानपान नाश्ता रात के खाने की व्यवस्था है और वहां के के टी कॉफी वगैरह मिलेंगे वहां बहुत से अच्छे से गायक भी आएंगे और डांसर भी आएंगे
जापान में अक्सर वहां के लोग काम से फुर्सत मिलने के बाद ‘टी-सेरिमनी’ में शामिल होते हैं और एक विशेष प्रकार की विधि से चाय पीते हैं, जिसे ‘चा-नो-यू’ कहते हैं। यह विधि जापान में झेन परंपरा की देन है।
‘टी-सेरेमनी’ जापान में एक झोपड़ी में किया जाने वाला आयोजन है। झोपड़ी में एक चटाई बिछी होती है. जिस पर बैठकर चाय पी जाती हैय़ झोपड़ी के बाहर पानी से भरा मिट्टी का खड़ा रखा होता है। उस मिट्टी के घड़े के पानी से हाथ-पैर धोकर व्यक्ति झोपड़ी में प्रवेश करता है। एक झोपड़ी में अधिकतम 3 लोगों को ही प्रवेश करने की अनुमति मिलती है ताकि झोपड़ी में शांति बनी रहे। ऐसे शांत माहौल में जब व्यक्ति धीरे-धीरे चाय पीने का आनंद लेता है तो उसका तनाव और चिंता धीरे गायब हो जाती है और व्यक्ति अपने भूत एवं भविष्य की चिंताओं से मुक्त हो जाता है। इस तरह ‘टी-सेरमनी’ मानसिक शांति देने की एक प्रक्रिया है जापान में बहुत लोकप्रिय है
प्रस्तुत पाठ ‘पतझर की टूटी पत्तियां’ में जिनमें ‘टी-सेरेमनी’ से जुड़ी सारी प्रक्रियाएं बेहद गरिमा पूर्ण तरीके से पूर्ण कर ली गई थी। ‘टी-सेरेमनी’ आयोजन एक कुटी में हुआ था। सबसे पहले सभी लोग हाथ-पैर धोकर अंदर गए। वहां चाजीन ने सभी लोगों का स्वागत किया तथा उन्हें बैठने के लिए जगह दी। फिर चाजीन ने अंगीठी जला कर उस पर चाय बनाने के लिए केतली रखी और बगल के कमरे से वह बर्तन ला लाया और बर्तनों को कपड़े से साफ किया। वहां का वातावरण बेहद शांत था। इतना शांत कि चाय के उबलने की आवाज स्पष्ट आ रही थी। फिर जब चाये बनकर तैयार हो गई तब चाजीन ने बड़े ही सलीके से चाय को बर्तनों में डाला। चाजीन ने ‘टी-सेरेमनी’ से जुड़ी यह सारी प्रक्रिया इतनी सलीके एवं शालीनता से कीं कि जैसे लग रहा हो कि कोई कलाकार अपनी संगीत साधना कर रहा हो।