Hindi, asked by 01Atharva46, 10 months ago

टूटे हुए घर की आत्मकथा

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Answered by bhatiamona
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                                           टूटे हुए घर की आत्मकथा  

मैं एक टूटा हुआ घर हूँ। कल तक मैं एक विशाल भवन था। आज मैं एक टूटा हुआ घर हूँ। कल लोग फिर आएंगे और मेरे बचे हुए हिस्से को भी तोड़ डालेंगे।  मैं मलबे में बदल जाऊंगा। मैंने सुना है मेरी जगह पर एक विशाल शॉपिंग कंपलेक्स बनने वाला है। जो मेरा मालिक था उसने मुझे किसी बड़े व्यापारी को बेच दिया, जिसने इसे एक शॉपिंग कंपलेक्स में बदलने का निर्णय लिया।

मैं अपने इतिहास को पलट कर देखूं तो मेरे मालिक के दादाजी ने मुझे बड़े जतन से बनवाया था। मैं पिछले 70 सालों से सीना ताने इस धरती पर खड़ा था। मैं अपने क्षेत्र की सबसे बड़ी विशाल हवेली था। नई पीढ़ी को शायद मेरी यह विशालता पसंद नहीं आई। वह नए जमाने के साथ चलना चाहती है, उसने मेरे अंदर रहना स्वीकार नहीं किया। वह दूर देश बस जाना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने मुझे बेच दिया। जो उनके पुरखों की अमानत थी उसे उन्होंने बेच दिया, व्यापारियों के हाथों।

अब व्यापारी मेरी जमीन पर बड़ा सा शॉपिंग कंपलेक्स बनाएंगे, उसमें अनेक दुकानें बनेगी। मेरी जिस जमीन पर पिछले  70 साल से मैं अपना सीना ताने खड़ा रहता था, अब वहां पर बाजार सजेगा, लोग खरीदारी करेंगे। लेकिन तब तक मैं अपना अस्तित्व खो चुका होऊंगा। मैं आज अंतिम साँसे गिन रहा हूँ। कल मेरा वजूद पूरी तरह खत्म हो जाएगा। मैं एक टूटा हुआ घर हूँ।

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