तोड़ती पत्थर कविता पूंजीवादी समाज व्यवस्था पर प्रहार करके इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए
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तोड़ती पत्थर कविता पूंजीवादी समाज व्यवस्था पर प्रहार करके इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए
तोड़ती पत्थर कविता पूंजीवादी समाज व्यवस्था पर प्रहार किया है, इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
वह तोड़ती पत्थर’ कविता के माध्यम से कवि निराला ने पूंजीवादी व्यवस्था पर तीखा प्रहार किया है।
कवि के अनुसार समाज में दो तरह के लोग पाए जाते हैं, शोषक और शापित। शोषक यानि जो पूँजीवादी वर्ग है, जो धनवान है, बलशाली है। जो निर्धन और निर्बल लोगों का शोषण करते हैं और वह अपना पूरा जीवन दूसरों का शोषण करने में गुजार देते हैं। ऐसे शोषक लोग बेहद प्रभावशाली और धनाढ्य लोग होते हैं।
शोषित वर्ग में मजदूर किसान निर्धन लोग आते हैं, जिन्हें अपने जीवन में नित्य प्रति अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हर तरह की आपदा विपदा भी इन्हीं लोगों पर सबसे पहले आती है। ये लोग अपने जीवन में अनेक कष्ट और दुख झेलते है, फिर भी यह लोग अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहते हैं और अपने कर्म में निरंतर मगन रहते हैं। कवि ने इसी पूँजीवादी वर्ग को शोषक वर्ग का दर्जा देकर तीखा प्रहार किया है।