तोड़ती पत्थर कविता पूंजीवादी समाज व्यवस्था पर वार करते हैं
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"तोड़ती पत्थर" कविता सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' तोड़ती ji ki hai.वह तोड़ती पत्थर 'सूर्यकांत त्रिपाठी निराला' द्वारा रचित एक मर्मस्पर्शी कविता है। इस कविता में कवि 'निराला' जी ने एक पत्थर तोड़ने वाली मजदूरी के माध्यम से शोषित समाज के जीवन की विषमता का वर्णन किया है।
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