'टी.वी.रियालिटी शो ' का समाज पर प्रभाव पर अनुच्छेद लेखन।
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han bolo tum kay khana chati ho mere tara english se hindi likho
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mark me as Brianlist
Explanation:
रियलिटी शो आज के समय में हर टीवी चैनल पर किसी न किसी फॉर्मेट पर आधारित प्रसारित हो रहा है। वैसे तो ये कार्यक्रम ज्यादातर युवाओं के रोमांच और उत्सुकता को बढ़ाकर चैनल की टी.आर.पी बढ़ाने के लिए प्रसारित होते हैं, किन्तु आजकल 5 साल तक के बच्चे भी न केवल इन कार्यक्रमों के दर्शक बन गए है, बल्कि इनमे स्वयं प्रतिभागी भी बन रहें हैं। ऐसे कई रियलिटी शो है, जिनमे 5 साल तक के बच्चे पार्टिसिपेट करते है। टीवी पर आज के समय में एक्टिंग, सिंगिंग और डांस रियलिटी शोज की भरमार लगी हुई है, आज शायद आपको हर चैनल पर एक रियलिटी शो तो मिल ही जाएगा।
भारत में रियलिटी शो की शुरुआत कब हुई:
भारत में पहला रियलिटी 2000 में महानायक अमिताभ बच्चन के द्वारा शुरू किया गया 'कौन बनेगा करोड़पति' । बस तब से ही रियलिटी शो की शुरुआत हुई और एक बाद एक रियलिटी शो टेलीविजन पर प्रसारित होने लगे।
रियलिटी शो का बच्चों पर प्रभाव-
मानसिकता होती है प्रभावित:
अक्सर ये देखा गया है कि, टीवी पर आने वाले प्रोग्राम का व्यक्ति के दिमाग पर इतना गहरा प्रभाव पड़ता है कि, वह अपने आप को सीरियल के पात्र के साथ जोड़कर देखने लगता है।
तनाव ग्रस्त हो जाते हैं बच्चे :
रियलिटी शो में लगातार प्रेक्टिस की आवश्यकता होती है और लंबे समय से रिहर्सल से बच्चे शारीरिक रूप से थक जाते हैं। थकान के कारण बच्चों में तनाव पैदा होने लगता है। शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार शूटिंग के दौरान तेज रोशनी का सामना करना पड़ता है, जो बच्चों के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। तेज रोशनी से आंखों पर बुरा असर होता है।
बच्चों में भेद-भाव उत्पन्न होना:
रियलिटी शो से बच्चों के मन में भेद-भाव उत्पन्न होने लगता है। वह दूसरों को अपने से छोटा समझने लगते हैं। साथ ही वह अपने भाई-बहन के साथ भी भेद-भाव करने लगते हैं।
बचपन पर पड़ता है बुरा प्रभाव :
रियलिटी शो बच्चो के बचपन पर बुरा प्रभाव डाल रहें है और बच्चों से उनकी मासूमियत छीन रहें है। अगर हम इसके दूसरे पहलु को देखें, तो इस तरह के शो में बच्चे कम उम्र में ही मुकाबले की दौड़ में भागने लगे है। साथ ही उनके दिमाग में नाम और शोहरत कमाने का उत्साह आ जाता है। ऐसे में बच्चों का शो में हिस्सा लेने से कही न कही माता-पिता के भी मन में अपने बच्चे को सर्वश्रेष्ठ और प्रथम आने की इच्छा जागने लगती है। अगर ये बच्चें दूसरे बच्चों से पिछे हो जाते है या फिर उन्हें उस शो से बाहर होना पड़ता है, तो सिर्फ बच्चें ही नहीं बल्कि पेरेंट्स भी काफी दुखी होते है। कई बार तो बच्चों के बाहर किये जाने पर वाद-विवाद होने लगता है। ऐसे में बच्चें खुद को कमजोर समझने लगते है और खुद को लाचार महसूस करते है।