World Languages, asked by karnbiwaljiknw, 1 month ago

त्वरणीयम् कष्टपर्वते​

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Answered by 0878
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Answer:

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Explanation:

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Answered by sgokul8bkvafs
2

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Explanation:

(सस्ं कृतेगीतपरम्परा अतत समद्धृ ा प्राचीना च। जन ःमनससदृढ सङ्कल्पं कृत्वा कथमाचरणीयसमत्यस्स्मन्

गीते वर्णति म, ् गीतेऽस्स्मन्जनेषुपरोपकारभावनोत्पादनं दरीदृश्यते।)

हिंदी अथि : सस्ं कृत मेंगीतों की परम्परा अतत समद्धृ और प्राचीन ि । मन मेंदृढ़ संकल्प करके लोगों को

क सा आचरण करना चाहिए, ऐसा इस गीत मेंवर्णित ि । इस गीत मेंलोगों मेंपरोपकार की भावना

उत्पन्न करना हदखाई देती ि ।

मनसा सततं स्मरणीयम, ् वचसा सततं वदनीयम।्

लोकहितं मम करणीयम, ् लोकहितं मम करणीयम॥्1॥

न भोगभवने रमणीयम, ् न च सखु शयने शयनीयम।्

अितनिशं जागरणीयम, ् लोकहितं मम करणीयम ्॥2॥ ॥ मनसा ॥

न जातुदःुखं गणनीयम, ् न च तनजसौख्यं मननीयम।्

कायिक्षेत्रे त्वरणीयम, ् लोकहितं मम करणीयम ्॥3॥ ॥ मनसा ॥

दःुखसागरे तरणीयम, ् कष्टपविते चरणीयम।्

ववपस्त्त-वववपने भ्रमणीयम, ् लोकहितं मम करणीयम ्॥4॥ ॥ मनसा ॥

गिनारण्ये घनान्धकारे, बन्धुजना येस्स्थता गह्वरे।

तत्र मया सञ्चरणीयम, ् लोकहितं मम करणीयम ्॥5॥ ॥ मनसा ॥

हिंदी अनवुाद :

व्यस्ततने मन मेंिमेशा स्मरण करना चाहिए तथा वाणी से िमेशा बोलना चाहिए कक मझु े लोकहित

अथाित लोगों का हित/अच्छा करना चाहिए।

मझु े लोकहित करने के सलए सद व जागते रिना ि । भोग-भवन में रमण तथा सखु की श या पर सोना

निीं ि , अथवा हदन-रात जागते रिना चाहिए।

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