त्योहारों के बिना हमारा जीवन कैसा होगा?
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इनके बिना हमारी जिंदगी कितनी नीरस और बेरंग होती! भारतीय समाज की उत्सवधर्मिता ही इसे इतना जीवंत बनाती है कि पूरी दुनिया इसकी कायल है। ... ऐसे रस्म-रिवाज न केवल हमारी संस्कृति को अपने विविध रंगों से सजाते हैं, बल्कि ये समाज के हर वर्ग को एक-दूसरे से जोड़ने का काम बड़ी खूबसूरती से करते हैं।
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