Hindi, asked by binnytresa9661, 18 days ago

तप नहीं केवल जीवन सत्य करुण यह क्षणिक दीन अवसाद तरुण आकांक्षा से है भरा सो रहा आशा का आह्लाद व्याख्या कीजिए

Answers

Answered by shishir303
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तप नहीं केवल जीवन सत्य

करुण यह क्षणिक दीन अवसाद

तरुण आकांक्षा से है भरा

सो रहा आशा का आह्लाद

व्याख्या : जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘कामायानी’ काव्य ग्रंथ के चिंता सर्ग भाग-1 की इन पंक्तियों में श्रद्धा मनु कहती है, हे तपस्वी, तुम इतने अशांत क्यों हो?  तप करना ही केवल जीवन नही है। जप-तप से आगे भी जीवन है। ये जीवन के दुख, अवसाद, चिंता आदि केवल  क्षणिक हैं। इन्हे खत्म हो जाना। तुम आगे की ओर देखो जहाँ आकांक्षाओं से भरा आकाश फैला हुआ है। तुम अपनी दुख एवं चिंता को त्याग कर आशा का भाव अपने मन में संचारित करो।

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