- [तर-लाभका भागादारा समान हा आकृति वाबन्दुका 10. अरविन्द और बनवारी 7 : 3 में लाभ-विभाजन करने वाले साझेदार हैं और उनकी पूँजी क्रमश:1,500 रु.; 1,000 रु. है। साझेदारों की पूँजी पर 5% ब्याज देने की व्यवस्था है । बनवारी को 240 रु. वार्षिक वेतन प्राप्त करने का अधिकार है जो उसने अभी व्यापार से नहीं लिया है। 1998 में अरविन्द और बनवारी ने क्रमश: 120 रु. और 200 रु. व्यापार से निकाले । इस वर्ष का लाभ पूँजी पर वृद्धि देने के पूर्व परन्तु बनवारी का वेतन देने के पश्चातू 800 रु. था। 800 रु. का 31% मैनेजर को कमीशन के रूप में देना है। लाभ-विभाजन करते हुए लाभ-हानि लेखा तैयार करें और साझेदारों के पूँजी खाते बनाइये।
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यदि साझेदार के अवकाश ग्रहण करने पर अन्तिम भुगतान का निस्तारण न हो तो भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 37 के अनुसार निवृत्त होने वाले साझेदार को दो विकल्प प्राप्त होते हैं
यदि साझेदार के अवकाश ग्रहण करने पर अन्तिम भुगतान का निस्तारण न हो तो भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 37 के अनुसार निवृत्त होने वाले साझेदार को दो विकल्प प्राप्त होते हैंवह अन्तिम भुगतान प्राप्त करने तक की अवधि का, बकाया रकम पर 6% वार्षिक ब्याज प्राप्त करे।
यदि साझेदार के अवकाश ग्रहण करने पर अन्तिम भुगतान का निस्तारण न हो तो भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 37 के अनुसार निवृत्त होने वाले साझेदार को दो विकल्प प्राप्त होते हैंवह अन्तिम भुगतान प्राप्त करने तक की अवधि का, बकाया रकम पर 6% वार्षिक ब्याज प्राप्त करे।उस अवधि में अर्जित लाभ में निवृत्ति की तिथि से पूँजी अनुपात में हिस्सा प्राप्त करें।