तरुणाई है नाम सिंह की उठती लहरों के गर्जन का, चट्टानों से टक्कर लेना लक्ष्य बने जिनके जीवन का। विफल प्रयासों से भी दूना वेग भुजाओं में भर जाता, जोड़ा करता जिनकी गति से नव उत्साह निरंतर नाता। पर्वत के विशाल शिखरों- सा यौवन उसका ही है अक्षय, जिनके चरणों पर सागर के होते अनगिन ज्वार साथ लय। अचल खड़े रहते जो ऊंचा, शीश उठाए तूफानों में , सहनशीलता दृढ़ता हंसती जिनके यौवन के प्राणों में। वही पंथ बाधा को तोड़े बहते हैं जैसे हों निर्जर , प्रगति नाम को सार्थक करता यौवन दुर्गमता पर चलकर। अक्षय यौवन कैसा होता है? पर्वत के विशाल शिखरों सा फूलों जैसा ज्वार भाटे की शक्ति से युक्त कांटों जैसा
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mark as brainlist......
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prastut Kavyansh ka uchit shirshak likhiye
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