Hindi, asked by mahimaurya2com, 10 months ago

तदनन्तर बैठी सभा उटज के आगे,
नीले वितान के तले दीप बहु जागे।
टकटकी लगाए
नयन सुरों के थे वे,
परिणामोत्सुक उन भयातुरों के थे वे
उत्फुल्ल करौंदी-कुंज वायु रह
करती थी सबको पुलक-पूर्ण मह महकर।
वह चन्द्रलोक था, कहाँ चांदनी वैसी,
प्रभु बोले गिरा गम्भीर नीरनिधि जैसी।
रहकर,​

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Answered by shivaji011282
2

Answer:

ghar pe ja ke soja ghar pe ja ke soja bahut acche se

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