तव प्रताप उर राखि प्रभु जैहउँ नाथ तुरंत ।
अस कहि आयसु पाइ पद बंदी चलेउ हनुमंत ।।
भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार ।
मन महुँ जात सराहत पुनि-पुनि पवनकुमार ।।
I) इस काव्यांश के कवि और कविता का नाम लिखिए।
ii) हनुमान ने संजीवनी बूटी लाने के विषय में राम से क्या कहा?
iii) हनुमान भरत के किन गुणों से प्रभावित हुए?
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Answer:
(i) इस काव्यांश के कवि और कविता का नाम लिखिए।
उत्तर — इस काव्यांश के कवि का नाम ‘तुलसीदास’ है और इस कविता का नाम ‘लक्ष्मण मूर्छा’ और राम का विलाप है।
(ii) हनुमान ने संजीवनी बूटी लाने के विषय में राम से क्या कहा?
उत्तर — हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाने के विषय में राम से कहा कि ‘हे प्रभु आपके प्रताप को हृदय में धारण करके मैं तुरंत चल दूंगा।’
(iii) हनुमान भरत के किन गुणों से प्रभावित हुए?
उत्तर — हनुमान भरत के बाहुबल, उनके शील चरित्र और प्रभु श्री राम के प्रति निष्ठा और प्रेम से अत्यंत प्रभावित हुए।
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