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संतोष और सच्चाई का नाम.
कनकपूर नाम का एक गाव था|एक साल उसकी लाके मे वर्षा नही हुई| खेत मे अन्न उत्पन्न होने न के कारण उस गाव मे अकाल पडा| लोक भूखों मरने लगे|
कनकपुर गाव मे जमीनदार रहता था| वह बडा दयालु था| गाव मे मासूम बच्चों और बेसहारा लोगो की दुर्दशा उसे देखी न गई| उसने गरीब बच्चो को रोटी या भाटणा शुरू किया| एक दिन उसने जान-बूजकर एक रोटी छोटी बनवाई| जब रोटिया बाटने जाने लगा तब हर एक बालक बडी-बडी रोटी लेने के लिए झपटने लगा| कोई भी बालक ऊस छोटी रोटी को लेना नही चाहता था|
इतने मे एक छोटी बालिका आई| उसने सोचा की छोटी रोटी ही मेरे लिए काफी है| उसने फौरन वह रोटी ले ली| घर जा कर बालिका ने रोटी तोडी तो उसमे से एक सोने का सिक्का निकला| बालिका और उसके मा-बाप ऊस सिक्का को लौटाने के लिये जमीनदार के घर जा पहुचे|
जमीनदार ने कहा-"यह सिक्का तुम्हारे संतोष और सच्चाई का इनाम है|" सब बहुत खुश हो गये और घर लौट आए|
सीख:-संतोष और सच्चाई जैसे गुण का लाभ अंत मे अवश्य मिलता है|