terah chaudah varsh ki aayu mein vah balak apne parivar ki zimmeidari kyon utha raha tha
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हमारा परिवार बहुत छोटा है। हम घर में पाँच प्राणी रहते हैं। मेरी माँ, मेरे पिताजी मेरा बड़ा भाई और मेरी दादी। मेरा भाई मुझ से दो साल बड़ा है। हम दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते हैं। मेरा भाई आठवीं कक्षा में और मैं छठी में पड़ती हूँ। हम दोनों पैदल विद्यालय जाते हैं क्योंकि हमारा विद्यालय घर के समीप है।
मेरे पिताजी डी. डी. ए. के आफिस में काम करते हैं। वह अपने आफिस बस से ही आते-जाते हैं। मेरी माँ अध्यापिका है। उनका स्कूल घर से कुछ दूरी पर है; वह रिक्शे पर विद्यालय जाती हैं। घर में दादी अकेली रहती हैं। अभी वे अपना कार्य स्वयं करने में सक्षम हैं।
शाम को हम सब इकट्ठे घूमने के लिए बाग में जाते हैं। वहाँ पर माँ-पिताजी भी हमारे साय बैड-मिटन खेलते हैं। वह दोनों हमें हास्यप्रद चुटकुले और नई-नई कविताएँ भी सुनाते हैं।
मेरे घर का वातावरण बहुत ही शान्त है। कोई भी आपस में नहीं झगड़ता। समस्याओं का समाधान सब मिलजुलकर कर लेते हैं। घर के महत्त्वपूर्ण निर्णयों में दादी की सलाह अवश्य ली जाती है। उनकी बात को घर का प्रत्येक सदस्य मानता है। वृद्ध होने के कारण उनकी सेवा भी की जाती है।
विद्यालय की छुट्टियाँ होने पर पिताजी हमें बाहर घुमाने भी ले जाते हैं। घर का प्रत्येक सदस्य एक-दूसरे से प्रेम से बोलता है। माँ-पिताजी हमें बहुत प्यार करते हैं और हम उन्हें। त्यौहारों के अवसर पर हमारे पिताजी हमें नये-नये कपड़े बनवा देते हैं। मेरी मां घर पर ही नमकीन और मिठाइयाँ बना लेती है। क्योंकि बाजार से खरीदने पर ये चीजें बहुत महँगी पड़ती हैं और धर का बजट बिगड़ जाता है। हम अपने कपड़े स्वयं ही प्रैस करते हैं, पर कीमती कपड़े धोबी से प्रैस करवा लेते हैं।
परिवार में रिश्तेदासें का आना-जाना भी लगा रहता है। कभी मेरे मामाजी और उनके बच्चे हमसे मिलने आ जाते हैं और कभी हम अपने ताऊजी के पास चले जाते हैं। हम शाकाहारी भोजन करते हैं। दाल, सब्जियाँ और दूध, दही प्रयोग में लाते हैं।
कभी-कभी मक्खन और मटर पनीर का सेवन भी कर लेते हैं। हमारे परिवार में हमारे पिताजी और माताजी हमारा जन्मदिन बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं। वे अनेक मित्रों को बुलाते हैं। हम अपनी दादी जी और माँ-पिताजी के चरण छूकर आशीर्वाद लेते हैं। मेरी दादी तो इस अवसर पर फूली नहीं समाती।