Hindi, asked by abhinavnayan18, 11 months ago


hola \: guys \:
50 points....❗❗❗



Essay on बीती ताहि बिसार दे , आगे की सुधि लेहु!

In about 400 words....!!!​

Answers

Answered by Anonymous
6

Answer:

I'm not able to Answer you at that Question . So I'm Answering here in Hindi " Social Media Boon or Bane "

Explanation:

आशीर्वाद के रूप में सोशल मीडिया

  • सोशल मीडिया की मुफ्त मैसेजिंग और कॉलिंग की वजह से दुनिया भर में रहने वाले परिवार और दोस्तों के बीच संचार बढ़ गया है। अब लोग अपने बचपन के दोस्तों को खोजने, उनसे जुड़ने में सक्षम हैं।

  • अब हर गुजरते दिन, हर बीतते घंटे, लोगों का इंटरनेट और सोशल मीडिया का उपयोग अधिक गति से बढ़ रहा है। इस प्रकार डिजिटल मार्केटिंग एक नया क्षेत्र है जो भारी प्रगति के अधीन है।

  • लोग अब बहुत सारे नए विचारों के साथ सामने आ रहे हैं, जो शुरू में पागल लग रहे थे, लेकिन बाद में यह एक बहुत बड़े ब्रांड में बदल गया और लोगों ने शुरू किया कि यह कुछ ही समय में Google, Facebook, Twitter जैसे करोड़पति और अरबपति बन गए हैं।

  • लोग अपने विचारों को खुलकर व्यक्त करने और अन्य विचारों को समझने में सक्षम हैं जो लोगों को एक विशेष कारण में शामिल होने में मदद करते हैं।

सोशल मीडिया अभीशाप है

  • आजकल लोग सोशल मीडिया की आभासी दुनिया में इतने अधिक शामिल हैं कि वे वास्तविक दुनिया के बारे में भूल जाते हैं। मूल्यवान व्यक्तिगत और आमने-सामने बातचीत, यानी लोगों का सामाजिक जीवन कमजोर हो रहा है।

  • ऑनलाइन मीडिया में लोगों के बहुत सारे दोस्त होते हैं, जिनमें से कुछ वे वास्तविक जीवन में कभी नहीं मिले, यानी अजनबी, जो बदले में कुछ के लिए खतरा हो सकते हैं।

  • हम सभी जानते हैं कि यहां हम खुलकर अपने विचार दे सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों ने इस सोशल मीडिया का दुरुपयोग दूसरे व्यक्ति को दुर्व्यवहार और धमकाने के अपने अधिकार के रूप में किया है।

  • लोग सोशल मीडिया पर घंटों बिताते हैं जो उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। शारीरिक गतिविधि में कमी स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। लैपटॉप, मोबाइल, टैबलेट आदि की चमक के कारण आंखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

  • व्यक्तिगत जानकारी में हैकिंग आजकल एक वास्तविक समस्या पैदा करती है, वे ईद की नकली, बैंक विवरण प्राप्त करते हैं, आदि कुछ नकली समाचारों ने समाज में बहुत अशांति पैदा की है। सेलिब्रिटीज ऐसी फर्जी खबरों के नियमित शिकार होते हैं।

Answered by Anonymous
1

स्व. हरिवंश राय बच्चन की एक कविता है ,

' जो बीत गई सो बात गई! ' यानी बीती बातों पर चिंता करना बेकार है। इसीलिए हमारे पूर्वज हमेशा कहते रहे- बीती ताहि बिसार दे , आगे की सुधि लेहु! क्योंकि बीती बातों पर सोचने व चिंता करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। इसी के लिए विचारकों ने ' चिंता छोड़ , चिंतन करें! ' जैसा मुहावरा इस्तेमाल किया है। भारतीय ऋषियों ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात कही है , वह है- वर्तमान का चिंतन। जिसका वर्तमान सुधरा होता है , उसका अतीत यदि खराब भी रहा , तो जीवन उसका असर बहुत प्रतिकूल नहीं होता , जितना बुरा असर खुद वर्तमान के खराब होने पर होता है। बीता समय यदि बहुत अच्छा और चल रहा वक्त यदि बुरा है तो वह अच्छाई भी बुराई में बदल जाती है। इसलिए हमेशा वर्तमान पर सोचें। इससे पूर्व और भविष्य दोनों अच्छे बन जाते हैं। महापुरुषों ने कहा है कि ज्ञानी और सुखी वही होता है , जो अतीत की चिंता छोड़कर वर्तमान के चिंतन पर अपनी ऊर्जा और वक्त लगाता है। वर्तमान को संभाल लेने से जिंदगी में भविष्य के लिए एक आत्मविश्वास और संकल्प (स्वप्न) पैदा होता है। जो व्यक्ति बीती घटनाओं पर ही दुखी होकर चिंता करता रहता है , उसका वर्तमान भी बिगड़ जाता है और भविष्य के भी सुखद होने की संभावनाएं बहुत कम रह जाती हैं। भूतकाल पर जो व्यक्ति सोचते रहते हैं , उनको तनाव , मानसिक संताप और दूसरी कई परेशानियां घेर लेती हैं। भूतकाल की चिंता से उम्र , क्षमता , ऊर्जा और साहस (कार्य करने की सोच) में भी कमी आ जाती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक व्यक्ति जितना पीछे की ओर सोचता है , उसका चिंतन और कार्य करने की क्षमता उतनी ही कम होती जाती है। मानसिक संतुलन , स्मरण शक्ति , देह शक्ति और संकल्प शक्ति में कमी की मूल वजह चिंता ही है। ठीक इसके उलट जो व्यक्ति वर्तमान पर चिंतन करता है , उसे ही जीवन में सफलताएं हाथ लगती हैं। दुनिया में जितने भी वैज्ञानिक , गणितज्ञ , लेखक और दार्शनिक हुए हैं , सभी ने वर्तमान में रहकर सोचा। अंधकार से प्रकाश की तरफ आगे बढ़ते रहने का मतलब यही है कि अतीत (भूतकाल) से निकल कर वर्तमान एवं भविष्य को स्वर्णिम बनाने के बारे में सोचें। वर्तमान का चिंतन जीवन है और भूतकाल की चिंता ' मृत्यु ' यानी पतन है। अब सवाल उठता है कि क्या यह संभव है कि बीती दुखद या सुखद घटनाओं पर हमारा ध्यान (मन) जाए ही नहीं ? मन तो चंचल है। बीती बातों पर ध्यान तो जाएगा ही। इसलिए उस पर तनाव या विषाद न करके उससे कुछ ऐसे सूत्र (फॉर्मूले) ढूंढें जिससे वर्तमान एवं भविष्य की कडि़यां मजबूत हो सकें। विचार के स्तर पर देखा जाए तो भूतकाल पर सोचना असत्य और वर्तमान पर निगाह रखना ' सत्य ' का पालन है। गुजरा वक्त लौटाया नहीं जा सकता , उसी तरह बीती घटनाओं पर हमारा कोई वश नहीं चल सकता। जिन कारणों से अतीत दुखद बना , वे कारण यदि वर्तमान में मौजूद हों , तो उन्हें दूर करना ही ' चिंतन का कार्य है। ' असफलताओं , रूढ़ि़यों एवं मनोविकारों को तभी दूर किया जा सकता है , जब हम वर्तमान में रहकर स्वस्थ चिंतन करें। स्वस्थ चिंतन नए रास्ते , नए लक्ष्य और कार्य करने के नए तरीके ईजाद करता है। ठीक इसके विपरीत चिंता एक ऐसी आग है , जो वर्तमान की राह और मंजिल दोनों को रोक देती है। मन में शुभत्व , परोपकार , कर्त्तव्य परायणता और आत्म सुधार करने का तरीका भी चिंतन के जरिए मालूम हो जाता है। अतीत और वर्तमान के बीच सेतु (पुल) बनने के लिए ऐसे चिंतन की जरूरत होती है , जहां से नए-नए रास्ते निकलकर सुखद भविष्य की तरफ जाते हैं। इसीलिए महापुरुषों ने कहा है- चिंता हमारी सबसे बड़ी शत्रु है। क्योंकि यह जीते जी हमें जला देती है। अतीत की चिंता मूर्खों की खुराक कही गई है और वर्तमान का चिंतन बुद्धिमान का मानसिक भोजन।.

Similar questions