Hindi, asked by Divyrajpatel, 7 months ago

दो अनौपचारिक पत्र लिखिए​

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Answered by thebrain1447
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1.18, जीवन नगर,

गाजियाबाद।

दिनांक 19 मार्च, 20XX

प्रिय कुसुमलता,

शुभाशीष।

आशा करता हूँ कि तुम सकुशल होगी। छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित चल रही होगी।

प्रिय कुसुम, तुम अत्यन्त सौभाग्यशाली लड़की हो जो तुम्हें बाहर रहकर अपना जीवन संवारने का अवसर प्राप्त हुआ हैं, परन्तु वहाँ छात्रावास में इस आजादी का तुम दुरुपयोग मत करना।

बड़ा भाई होने के नाते मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि तुम समय का भरपूर सदुपयोग करना। तुम वहाँ पढ़ाई के लिए गई हो। इसलिए ऐसी दिनचर्या बनाना जिसमें पढ़ाई को सबसे अधिक महत्त्व मिले।

यह सुनहरा अवसर जीवन में फिर वापस नहीं आएगा। इसलिए समय का एक-एक पल अध्ययन में लगाना। मनोरंजन एवं व्यर्थ की बातों में ज्यादा समय व्यतीत न करना। अपनी रचनात्मक रुचियों का विस्तार करना। खेल-कूद को भी पढ़ाई जितना ही महत्त्व देना। आशा करता हूँ तुम मेरी बातों को समझकर अपने समय का उचित प्रकार सदुपयोग करोगी तथा अपनी दिनचर्या का उचित प्रकार पालन करके परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करोगी।

शुभकामनाओं सहित।

तुम्हारा भाई,

कैलाश

(2) ♤♡◇♧अपने छोटे भाई को कुसंगति से बचने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।

19, बीसवाँ मील,

सोनीपत,

हरियाणा।

दिनांक 21 मार्च, 20XX

प्रिय भाई भूपेन्द्र

खुश रहो !

कल तुम्हारा पत्र मिला। मुझे यह पढ़कर अत्यन्त हर्ष हुआ कि तुम परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए हो। परिवार के सभी लोग चाहते हैं कि तुम परिश्रम से पढ़ो और अच्छे अंक प्राप्त करो।

बन्धु, मैं भली-भाँति जानता हूँ कि तुम कर्त्तव्यनिष्ठ हो। फिर भी मैं तुम्हारा ध्यान कुसंगति के कुप्रभाव की ओर आकृष्ट कर रहा हूँ। कुसंगति एक संक्रामक रोग की भाँति हैं। जब यह रोग किसी को लग जाता हैं, तो वह बड़ी कठिनाई से ही उससे मुक्त हो पाता हैं। एक बड़े विद्वान ने कुसंगति की उपमा विषम ज्वर से दी हैं। जिस प्रकार विषम ज्वर शीघ्र छूटता नहीं, उसी प्रकार कुसंगति का प्रभाव भी शीघ्र समाप्त नहीं हो पाता। बड़े-बड़े मनीषी तक कुसंगति में पड़ कर अपने जीवन को बर्बाद कर देते हैं। अतः इससे बचने का प्रयास करना चाहिए।

प्रिय अनुज, मुझे तुम पर पूरा भरोसा हैं। तुम सदैव कुसंगति से बचने का प्रयास करते रहोगे। सद् इच्छा के लिए तुम्हारी दृढ़ता और बुराइयों से बचने के लिए तुम्हारा साहस ही तुम्हें सफल बनाएगा।

पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।

तुम्हारा बड़ा भाई,

नरेन्द्र

(3) ♤♡◇♧अपने छोटे भाई को स्कूल में नियमित उपस्थित रहने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।

एफ/197, मयूर विहार,

दिल्ली।

दिनांक 12 जनवरी, 20XX

प्रिय सुरेश,

शुभाशीष।

कल तुम्हारे कक्षाध्यापक का पत्र मिला। यह जानकर मुझे अत्यधिक दुःख हुआ कि पिछले दो महीनों से तुम कक्षा में नियमित रूप से उपस्थित नहीं हो रहे हो। यह भी पता चला हैं कि तुम स्कूल से हर दूसरे-तीसरे दिन उपस्थित रहते हो।

सुरेश, इस वर्ष तुम्हारी बोर्ड की परीक्षा हैं। यदि तुम इसी तरह कक्षा से गैर-हाजिर रहकर अपना कीमती समय बर्बाद करते रहे तो बाद में पछताने के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा। पढ़ाई में लापरवाही से तुम अनुतीर्ण हो जाओगे। एक वर्ष असफल होने का मतलब हैं- अपने को लाखों से पीछे धकेल देना। समय बहुत तेजी से करवट ले रहा हैं। तुम पिछले कुछ देख ही रहे हो कि डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में भी केवल उन्हीं छात्रों को प्रवेश मिल रहा हैं, जिन्होंने 75% से अधिक अंक प्राप्त किए हों।

अगले दो वर्षों में स्थिति और भी विकट हो जाएगी। यदि तुम अपना भविष्य संवारना चाहते हो, तो मन लगाकर परीक्षा की तैयारी करो। सफलता हमेशा उसी के कदम चूमती हैं, जो मेहनत से जी नहीं चुराता।

मुझे विश्वास हैं कि तुम मेरी बातों पर गम्भीरता से ध्यान देते हुए नियमित रूप से विद्यालय जाओगे और परीक्षा की भली-भाँति तैयारी करोगे।

भावी सफलताओं की शुभकामनाओं सहित।

तुम्हारा बड़ा भाई,

दिनेश

(4) ♤♡◇♧अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें उसे स्कूल में अच्छा व्यवहार करने की राय दीजिए।

स्टेशन रोड, 

सीतामढ़ी।

दिनांक 10 जनवरी, 1988

प्रिय नरेंद्र,

शुभाशीष।

आज तुम्हारा पत्र पाकर और यह जानकर कि तुम जिला स्कूल में भरती हो गए हो, मैं बहुत खुश हूँ। मुझे आशा है कि स्कूल के प्रथम दिन का तुम्हारा अनुभव बड़ा मधुर होगा। फिर भी, मैं तुम्हें खतरों से सचेत करने के लिए यह पत्र लिख रहा हूँ। स्कूल में जिस तरह बहुत-से अच्छे लड़के है, उसी तरह बहुत-से बुरे लड़के हैं। केवल अच्छे लड़कों के साथ तुम्हें रहना चाहिए। इस कार्य में तुम्हारे शिक्षक तुम्हारी सहायता करेंगे। दुष्ट और आलसी लड़कों की संगति से हमेशा दूर रहने की चेष्टा करोगे। अपने पाठ के संबंध में भी तुम्हें सचेत और समयनिष्ठ रहना चाहिए। तुम्हें अपने शिक्षकों को सबसे अधिक सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए अन्यथा तुम कुछ सीख नहीं सकोगे। अपने साथियों के साथ तुम्हारा व्यवहार भी भाई की तरह होना चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि तुम मेरी हिदायतों पर ध्यान दोगे। अगर तुम ऐसा करोगे तो तुम बहुत अच्छे लड़के बनोगे।

तुम्हारा शुभेच्छुक,

सुरेश मोहन 

पता- नरेंद्र मोहन सिन्हा,

वर्ग 10, जिला स्कूल,

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