ठंडी बुझी राख का सुगबुगाना मुहावरे का वाक्यों में प्रयोग
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संकल्पना
मुहावरा अनिवार्य रूप से बोलने या प्रतिक्रिया देने के लिए अरबी शब्द है। कुछ लोग मुहावरे को "रोज़," "बोलचाल," "तरज़ेकलम," या "इस्ताला" कहते हैं, हालाँकि इनमें से किसी भी शब्द ने "मुहावरे" को पूरी तरह से प्रतिस्थापित नहीं किया है। मुहावरे को संस्कृत साहित्य में किसी शब्द से संदर्भित नहीं किया गया है। कुछ व्यक्ति "आवेदन," "योनि," "वाग्धारा," या "भाषा-संप्रदाय" शब्दों का उपयोग करते हुए ऐसा करते हैं। वाक्यांश के पर्यायवाची शब्द, "भाषण-विधि," "भाषण शैली," "आवाज-व्यवहार," और "विशिष्ट स्वरूप" सभी वीएस आप्टे के "अंग्रेजी-संस्कृत शब्दकोश" में पाए जाते हैं। पराडकर जी ने मुहावरा पर्यायवाची शब्द के रूप में "वाक-सम्प्रदाय" प्रस्तावित किया है। काका कालेलकर के अनुसार भाषण-प्रचार "मुहावरे" के बजाय "रूढ़िवादी" शब्द का प्रयोग कर सकता है। शब्द "मुहावरे" को ग्रीक में "इडियोमा", फ्रेंच में "इंडियाटिसमी" और अंग्रेजी में "इडियम" कहा जाता है।
दिया गया
ठंडी बुझी राख का सुगबुगानाl
पाना
मुहावरे का वाक्यों में प्रयोगl
समाधान
सदियों की ठंडी बुझी राख सुगबुगा उठी । सदियों की ठंडी बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है'।
अत, सदियों की ठंडी बुझी राख सुगबुगा उठी ।
#SPJ2
Answer:
सदियों की ठंडी बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है'।-
दिनकर की
Explanation:
“सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ।”
हिंदी साहित्य के शाश्वत चेतना के भास्कर जिनकी रचनाओं का दीप्ति हिंदी साहित्य के कण कण को प्रकाशित और पल्लवित कर रही हो , जिसकी रचनाओं की ऊष्मा से राजनीति , समाज अपने लड़खड़ाते पाँव को सम्भालता और अपनी सुन्न होती चेतना को जागृत करता हो आज ऐसे ही दिनकर, भास्कर दिवाकर श्री रामधारी सिंह दिनकर का आज जन्मदिन है..!!
साहित्यम परिवार हिंदी साहित्य के सूर्य को नमन करता है..
देश की आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी मिलने तक के सफर को दिनकर ने अपनी कविताओं द्वारा व्यक्त किया है. यहीं नहीं देश की हार जीत और हर कठिन परिस्थिति को दिनकर ने अपनी कविताओं में उतारा है. एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है. दिनकर की कविताओं का जादू आज भी उतना ही कायम है.
आने वाले कुछ दिन हम दिनकर की गद्य, पद्य और उनकी साहित्यिक कृतियों पर चर्चा करेंगे । आप सभी के सहभागिता और सुझाव की आकाँक्षा रहेगी.।
डाक्टर बच्चन ने कहा था
“दिनकर जी को एक नहीं बल्कि गद्य, पद्य, भाषा और हिंदी के सेवा के लिए अलग-अलग चार ज्ञानपीठ मिलने चाहिए थे”
ठंडी बुझी राख का सुख बुगाना का मुहावरा का अर्थ बताइए|
https://brainly.in/question/26729182
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