दिए गए आरेख को देखकर भारत में भूमि उपयोग | परिवर्तन के बारे में बताए। (पृष्ठ 36)
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भारत में भूमि उपयोग के आँकड़े
- भारत में वर्ष 1950-51 में कृषि भूमि का प्रतिशत 67% था जो कम हो कर 2008-09 में 50% हो गया है |
- वन भूमि का क्षेत्र बढ़ा है 1950-51 में वन भूमि क्षेत्र 13% था जो 2008-09 में बढ़कर के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 32% हो गया है |
- बंजर भूमि का क्षेत्र कम हुआ है 1950-51 में लगभग 13% बंजर भूमि का क्षेत्र था जो वर्ष 2008-09 में 5% हो गया है |
भूमि प्रदूषण क्या है? प्रमुख भूमि प्रदूषकों तथा भूमि प्रदूषक के दुष्प्रभावों का वर्णन कीजिए।
https://brainly.in/question/13249731
निम्न में कौन सी भूमि को बंजर भूमि में रखा जा सकता
(क) ऊँचे पर्वत
(ख) पथरीली भूमि
(ग) दलदली भूमि
(घ) उपर्युक्त सभी
https://brainly.in/question/11540500
भूमि संरक्षण पर प्रोजेक्ट
https://brainly.in/question/6682259
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जनसंख्या में वृद्धि एक खतरा है
Explanation:
भूमि उपयोग पृथ्वी के किसी क्षेत्र का मनुष्य द्वारा उपयोग को सूचित करता है। सामान्यतः
- जमीन के हिस्से पर होने वाले आर्थिक क्रिया-कलाप को सूचित करते हुए उसे वन भूमि, कृषि भूमि, परती, चरागाह इत्यादि वर्गों में बाँटा जाता है।
- अधिक तकनीकी भाषा में भूमि उपयोग को "किसी विशिष्ट भू-आवरण-प्रकार की रचना, परिवर्तन अथवा संरक्षण हेतु मानव द्वारा उस पर किये जाने वाले क्रिया-कलापों" के रूप में परिभाषित किया गया है।
- भारत में भूमि उपयोग से संबंधित मामले 'भारत सरकार' के 'ग्रामीण विकास मंत्रालय' के 'भूमि संसाधन विभाग' के अंतर्गत आते हैं। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भूमि उपयोग से संबंधित सर्वेक्षणों का कार्य नागपुर स्थित 'राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो' नामक संस्था करती है। इस संस्था द्वारा भारत के विभिन्न हिस्सों के भूमि उपयोग मानचित्र प्रकाशित किये जाते हैं।
- भूमि उपयोग और इसमें परिवर्तन का किसी क्षेत्र के पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- प्राकृतिक संसाधन संरक्षण से जुड़े मुद्दों में भूमि उपयोग संरक्षण से जुड़े बिंदु हैं: मृदा अपरदन एवं संरक्षण, मृदा गुणवत्ता संवर्धन, जल गुणवत्ता और उपलब्धता, वनस्पति संरक्षण, वन्य-जीव आवास इत्यादि।
- शहरीकरण पिछली सदी और वर्तमान काल की सर्वाधिक प्रमुख घटनाओं में से एक है जिससे भूमि उपयोग में वैश्विक स्तर पर व्यापक परिवर्तन आये हैं। नगर एक अत्यधिक संकुचित क्षेत्र में अत्यधिक संकेंद्रित ऊर्जा उपयोग का केन्द्र होता है और अपनी बहुत सी आवश्यकताओं के लिये अपने इर्द-गिर्द के क्षेत्र पर आश्रित होता है, अतः नगरीयकरण का भूमि उपयोग पर पड़ने वाला प्रभाव केवल उसे क्षेत्र में नहीं पड़ता जो नगर के अंतर्गत आता है बल्कि नगर के पश्च-प्रदेश में भी व्यापक भूमि उपयोग परिवर्तन होते हैं।
- नगरीकरण और भूमि उपयोग परिवर्तनों को समेकित रूप से जलवायु परिवर्तन के सबसे प्रमुख कारक के रूप में भी देखा जाता है किन्तु इनमें से कौन कितना प्रभाव डालता है यह अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल है।
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