Hindi, asked by kumar7329, 1 month ago

दिए गए प्रश्नों के उत्तर दौ-(2X4-8 माक्स)
प्रश्न 1- अब्बा, सलीम और आरिफ के लिए क्या इकरार कर बैठ ?.
प्रश्न 2- स्वामीनाथन ने दादी को कौनसी कहानी सुनाई ?
प्रश्न 3-बिशन रोज कर्नल दत्ता के घर क्यों जाता था?
प्रश्न 4 -धरती को गुल्लक क्यों कहा जाता है ?​

Answers

Answered by pranitkhubchandani76
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Answer:

hope it helps you.

1.अब्बा ने क्या सोचकर आरिफ़ की बात मान ली?

Answer:

अब्बा ने सोचा – “रोज़ हर आदमी बच्चों पर हुक्म चलाता है। अत: आज हुक्म चलाने का मौका इन्हें दिया जाए।” इसलिए उन्होंने आरिफ़ की बात मान ली।

Question 2:

वह एक दिन बहुत अनोखा था जब बच्चों को बड़ों के अधिकार मिल गए थे। वह दिन बीत जाने के बाद इन्होंने क्या सोचा होगा–

आरिफ़ ने

अम्मा ने

दादी ने।

Answer:

वह एक दिन सबके लिए बहुत अनोखा था। वह दिन बीत जाने के बाद इन लोगों ने इस प्रकार का सोचा होगा –

आरिफ़ ने– आरिफ़ ने सोचा होगा कि रोज़ ही ऐसा दिन आए।

अम्मा ने– अम्मा ने सोचा होगा चलो आज बच्चों की बात मानकर उन्हें खुशी दे दी।

दादी ने– दादी ने सोचा होगा आज बच्चे कितने खुश हैं, इसका मतलब रोज़ उन्हें कष्ट होता होगा।

2दिन रात को भोजन के बाद स्वामीनाथन अपनी दादी की गोद में सिर रखे लेटा हुआ था और उनसे बातें कर रहा था। बातों के दौरान उसने दादी को राजम और मणि की पहले दुश्मनी और फिर दोस्ती की कहानी कह सुनाई। उसने दादी को यह भी बताया कि राजम के पास सचमुच की पुलिस की वर्दी है। उसके पिता पुलिस अधीक्षक हैं अर्थात् पुलिस के सबसे बड़े अफसर। पुलिस अधीक्षक, पुलिस के सबसे बड़े अफसर …’ जैसी बातों ने दादी को बहुत प्रभावित किया। उनको अपने पुराने दिन याद आने लगे। उन्होंने पुरानी कहानी शुरू कर दीं जब स्वामीनाथन के दादा रौबदार सब-मजिस्ट्रेट थे और जिनके दफ्तर में पुलिस वाले काँपते हुए खड़े रहते थे। उन्होंने स्वामीनाथन को यह भी बताया कि उनसे (दादाजी)। डरकर खूखार से खूखार डाकू तक भाग खड़े होते थे। स्वामीनाथन दादी की कहानी से ऊबने लगा। उसने उन्हें बीच में ही रोक दिया और राजम के बारे में बताने लगा। राजम को गणित में 100 में से 90 अंक मिलते हैं। इस पर दादी ने उसे सलाह दी कि तुम्हें भी इतने अच्छे नम्बर (अंक) लाने चाहिए। फिर उन्होंने उसके दादाजी के बारे में बताया कि कैसे वे कम-से-कम समय में सवालों का जवाब दे देते थे, और कैसे एम.ए. पास करने पर उनको बड़ा मेडल मिला था। दादी की बात जारी थी। कई सालों तक उस मेडल को मैं गले में पहनती रही। फिर उसे तुम्हारी बुआ को दे दी जो इतनी बेवकूफ निकलीं कि उसे गलवाकर फिर चूड़ियाँ बनवा लीं

3. सुबह दस वर्ष का बिशन घर से बाहर निकल आया। वह रोज इसी समय, इसी रास्ते से कर्नल दत्ता के फार्म हाउस पर उनकी पत्नी से पढ़ने जाता है। अचानक उसे गोली चलने की आवाज़ सुनाई दी। थोड़ी ही देर बार दो-तीन गोलियाँ एकसाथ चलीं। गोलियों की आवाज़ से पूरी घाटी गूंज गई। बिशन डर गया और पेड़ों की आड़ में छिप गया। अभी वह सोच ही रहा था कि गोली किसने और क्यों चलाई होगी कि तभी एक और गोली की आवाज़ आई। अचानक बिशन को गोली चलने का कारण समझ में आ गया। दरअसल शिकारी गेहूं के खेतों में दाना चुगते तीतरों को मारने के लिए उन पर गोली चलाते हैं।

बिशन दुखी हो गया। वह समझ गया कि शिकारी ही तीतरों पर गोलियाँ चला रहे हैं। फिर तो वह पेड़ों के बीच से निकलकर खेतों के किनारे-किनारे चलने लगा। चलते-चलते उसने शिकारियों को सबक सिखाने का निर्णय ले लिया। तभी उसकी नज़र एक घायल तीतर पर पड़ गई। उसने स्वेटर उतारकर उस पर (तीतर पर) डाल दिया और जब वह स्वेटर में फँस गया तो उसे पकड़ लिया। उसने उसे सीने से चिपका लिया और तेजी से पहाड़ी की ओर दौड़ पड़ा ताकि किसी शिकारी की नज़र उस पर न पड़े। लेकिन जिस बात का उसे डर था वही हुआ। वह कुछ ही दूर गया होगा कि पीछे से किसी की भारी आवाज़ सुनाई दी, “लड़के, रुक जा, नहीं तो मैं गोली मार दूंगा।” बिशन का दिल तेजी से धड़कने लगा। डर के बावजूद उसने आगे बढ़ना जारी रखा। अचानक शिकारी उसके काफी नजदीक आ गया। वह गुस्से में चिल्ला रहा था, “मैं तुझे देख लूंगा, तू मेरा शिकार चुराकर नहीं ले जा सकता।” बिशन के लिए आगे निकल भागने का रास्ता नहीं था। अतः उसने खेतों के छोटे रास्ते, जो काँटेदार झाड़ियों से भरे थे, से जाना निश्चित किया। बहुत संभलकर चलने के बावजूद उसके हाथ-पैर पर काँटों की बहुत-सी खरोंचें उभर आईं। लेकिन किसी तरह वह कर्नल दत्ता के फार्म हाउस के अंदर पहुँच ही गया। तीतर को वह सीने से लगाए रहा

4.dharti ko gullak isliye kaha jata hai kyonki dharti apne bich adhiktam panni ko sama sakta hai aur samay hue hai.

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