दिए गए पद्यांश का भावार्थ लिखिए -
बहुत दिनों के बाद
अबकी मैने जी भर देखी,
पकी- सुनहरी फसलों की मुस्कान !
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैं जी भी सुन पाया
धान कूटती किशोरियों की कोकिल - कंठी तान।
बहुत दिनों के बाद
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दिए गए पद्यांश का भावार्थ इस प्रकार होगा...
बहुत दिनों के बाद
अबकी मैने जी भर देखी,
पकी- सुनहरी फसलों की मुस्कान !
बहुत दिनों के बाद।
अबकी मैं जी भी सुन पाया
धान कूटती किशोरियों की कोकिल - कंठी तान।
बहुत दिनों के बाद
संदर्भ ➲ यह पद्यांश कवि नागार्जुन द्वारा लिखित कविता बहुत दिनों के बाद से लिया गया है। इस कविता के माध्यम से कवि ने गाँव में बिताये गये पलों का वर्णन किया है।
भावार्थ ➲ कवि कहता है कि बहुत दिनों के बाद इस गाँव में रहकर गाँव की उन लहलहाती फसलों को देखने के सुख का आनंद लिया है। बहुत दिनों बाद धान की फसल होने पर धान को कूटती हुई ग्रामीण बालाओं की मधुर आवाज सुनने को मिली है। उनके मधुर वार्तालाप को सुनकर असीम आनंद का अनुभव हो रहा है।
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