Hindi, asked by savitapandey497, 4 days ago

दिए गए पदयांश का भावार्थ लिखिए |

घरु- घर डोलत दीन ह्वै, जनु- जनु जाचतु जाइ|
दियैं लोभ - चलता चखनु , लघु पुनि बड़ो लखाइ||
कनक -कनक तैं सौ गुनी,मादकता अधिकाइ |
उहिं खाए बौछार जगु, इहिं पाए बौराइ ||​

Answers

Answered by Mancy12
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  1. बिहारी लाल जी कहते है कि लोभी व्यक्ति के व्यवहार का वर्णन करते हुए कहते हैं कि लोभी ब्यक्ति दीन-हीन बनकर घर-घर घूमता है और प्रत्येक व्यक्ति से याचना करता रहता है। लोभ का चश्मा आंखों पर लगा लेने के कारण उसे निम्न व्यक्ति भी बड़ा दिखने लगता है अर्थात लालची व्यक्ति विवेकहीन होकर योग्य-अयोग्य व्यक्ति को भी नहीं पहचान पाता।
  2. इस दोहे में बिहारी जी कहते हैं कि सोने में धतूरे से सौ गुनी मादकता अधिक है। धतूरे को तो खाने के बाद व्यक्ति पगला जाता है, सोने को तो पाते ही व्यक्ति पागल अर्थात अभिमानी हो जाता है।

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