दिए गए उद्धरण को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर लिखिए।
शहरों में आंदोलन: आंदोलन की शुरुआत शहरी मध्यवर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई। हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल- कॉलेज छोड़ दिए। हेड मास्टर और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए। वकीलों ने मुकद्दमें लड़ना बंद कर दिया। मद्रास के अलावा ज्यादातर प्रांतों में परिषद चुनावों का बहिष्कार किया गया। मद्रास में गैर- ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई जस्टिस पार्टी का मानना था कि काउंसिल में प्रवेश के जरिए उन्हें वह अधिकार मिल सकते हे,जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्मणों को मिल पाते है। इसलिए इस पार्टी ने चुनावों का बहिष्कार किया नहीं।
आर्थिक मोर्चे पर असहयोग का असर और भी ज्यादा नाटकीय रहा। विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था। उसकी कीमत 102 करोड से घटकर 57 करोड रह गई। बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इंकार कर दिया। जब बहिष्कार आंदोलन फैला और लोग आयातित कपड़ों को छोड़कर केवल भारतीय कपड़े पहने लगे, तो भारतीय कपड़ा मिलो और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा।
23.1) काउंसिल के चुनावों का बहिष्कार करने में जस्टिस पार्टी की भूमिका का वर्णन करें।
23.2) आर्थिक मोर्चे पर असहयोग का असर नाटकीय किस प्रकार था?
23.3) ‘विदेशी वस्त्र व्यापार’ पर बहिष्कार आंदोलन के प्रभाव का उल्लेख करें। (
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जीदिए गए उद्धरण को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर लिखिए।
शहरों में आंदोलन: आंदोलन की शुरुआत शहरी मध्यवर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई। हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल- कॉलेज छोड़ दिए। हेड मास्टर और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए। वकीलों ने मुकद्दमें लड़ना बंद कर दिया। मद्रास के अलावा ज्यादातर प्रांतों में परिषद चुनावों का बहिष्कार किया गया। मद्रास में गैर- ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई जस्टिस पार्टी का मानना था कि काउंसिल में प्रवेश के जरिए उन्हें वह अधिकार मिल सकते हे,जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्मणों को मिल पाते है। इसलिए इस पार्टी ने चुनावों का बहिष्कार किया नहीं।
आर्थिक मोर्चे पर असहयोग का असर और भी ज्यादा नाटकीय रहा। विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था। उसकी कीमत 102 करोड से घटकर 57 करोड रह गई। बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इंकार कर दिया। जब बहिष्कार आंदोलन फैला और लोग आयातित कपड़ों को छोड़कर केवल भारतीय कपड़े पहने लगे, तो भारतीय कपड़ा मिलो और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा।
23.1) काउंसिल के चुनावों का बहिष्कार करने में जस्टिस पार्टी की भूमिका का वर्णन करें।
23.2) आर्थिक मोर्चे पर असहयोग का असर नाटकीय किस प्रकार था?
23.3) ‘विदेशी वस्त्र व्यापार’ पर बहिष्कार आंदोलन के प्रभाव का उल्लेख करें। (