Hindi, asked by subha371976, 1 year ago

दोहे<br /><br />रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाँहि।<br />उनते पहले वे मुए, जिन मुख निकसत नाँहि।।1।।<br /><br />दोनों रहिमन एक से, जो लौं बोलत नाँहि।<br />जान परत हैं काक-पिक, रितु बसंत के माँहि।।2।।<br />तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पियहि न पान।<br />कहि रहीम पर काज हित, संपति संचहि सुजान।।।<br />कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।<br />बिपति कसौटी जे कसे, सो ही साँचे मीत।।4।।<br /><br />रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।<br />सुनि अठिलैहें लोग सब, बाँटि न लैहें कोय।।5।।<br />रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।<br />जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।6।।<br /><br />tell the meaning this sentence​

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Answered by akashkumar5166
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Answer:

रहीम दास जी ने इस दोहे से यह संकेत दे रहे है ।

रहीम दास वे मनुष्य मर चुके ,जो कोई से माँगने जाएँ

उनसे पहले वे मरे,जिनके पास होते हुए भी नही देते

दो रहीम दास एक से, जो बोलत नही

जान पडत हैं कौआ-कोवी ,ऋतु बसन्र के महीना

पेड़ फल नहीं खाता है ,तालाब पानी नही पीता

कहते रहीम जो सज्जन दूसरों के लिए धन इकट्टा

कहते रहीम धन दोस्त,बन बहुत

मुसीबत परखना जो जचाना

,सो ही सच्चा मित्र

रहीम कहते है मन के पीणा,मन मे छिपाकर न रखे

सुनो लेगें बात लोग सब,बाट न लेगा कोई

रहीम देख बड़े को , देख न दी कोई

जहाँ काम आवे सुई,कहा करे तलवार

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