देहमंददर चित्तमंददर एक ही है प्रार्थना ।
सत्य संद र मांगल्य की ननत्य हो आराधना ॥
जीवन मे नवतेज हो, अंतरंग मे भावना |
संद रता की आस हो मानवता की हो उपासना ||meaning of this poem
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देहमंददर चित्तमंददर एक ही है प्रार्थना ।
सत्य संद र मांगल्य की ननत्य हो आराधना ॥
जीवन मे नवतेज हो, अंतरंग मे भावना |
संद रता की आस हो मानवता की हो उपासना ||meaning of this poem =
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