थः का शब्द अथृ
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मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ
जि—भ्वा॰ पर॰ परा और वि पूर्व आने पर-आ॰ <आजयति> , <जित> —-—-—जीतना, हराना, विजय प्राप्त करना, दमन करना
जि—भ्वा॰ पर॰ परा और वि पूर्व आने पर-आ॰ <आजयति> , <जित> —-—-—मात कर देना, आगे बढ़ जाना
जि—भ्वा॰ पर॰ परा और वि पूर्व आने पर-आ॰ <आजयति> , <जित> —-—-—जीतना, दिग्विजय करके हस्तगत करना
जि—भ्वा॰ पर॰ परा और वि पूर्व आने पर-आ॰ <आजयति> , <जित> —-—-—दमन करना, दबाना, नियन्त्रण रखना,विजय प्राप्त करना
जि—भ्वा॰ पर॰ परा और वि पूर्व आने पर-आ॰ <आजयति> , <जित> —-—-—विजयी होना, प्रमुख या सर्वोत्तम बनना
अधिजि—भ्वा॰ पर॰—अधि-जि—-—जीतना, हराना,पछाड़ना
निर्जि—भ्वा॰ पर॰—निस्-जि—-—जीतना, हराना
निर्जि—भ्वा॰ पर॰—निस्-जि—-—जीत लेना, दिग्विजय द्वारा हस्तगत करना
पराजि—भ्वा॰ पर॰—परा-जि—-—हराना, जीतना, विजय प्राप्त करना, दमन करना
पराजि—भ्वा॰ पर॰—परा-जि—-—खोना, वञ्चित होना
पराजि—भ्वा॰ पर॰—परा-जि—-—जीत लिया जाना या वशीभूत किया जाना, (कुछ) असह्य लगना
विजि—भ्वा॰ पर॰—वि-जि—-—जीतना
विजि—भ्वा॰ पर॰—वि-जि—-—हराना, वशीभूत करना, दमन करना
विजि—भ्वा॰ पर॰—वि-जि—-—मात कर देना, आगे बढ़ जाना
विजि—भ्वा॰ पर॰—वि-जि—-—जीत लेना, दिग्विजय करके हस्तगत करना
विजि—भ्वा॰ पर॰—वि-जि—-—विजयी होना, श्रेष्ठ या सर्वोत्तम बनना
जिः—पुं॰—-—जि + डि़—पिशाच
जिगत्नुः—पुं॰—-—गम् + त्नु, सन्वद्भावत्वात् द्वित्वम्—प्राण, जीवन
जिगीषा—स्त्री॰—-—जि + सन् + अ + टाप्—जीतने की, दमन करने की, या वशीभूत करने की इच्छा
जिगीषा—स्त्री॰—-—-—अपर्धा प्रतिद्वन्दिता
जिगीषा—स्त्री॰—-—-—प्रमुखता
जिगीषा—स्त्री॰—-—-—चेष्टा, व्यवसाय, जीवनचर्या
जिगीषु—वि॰—-—जि + सन् + उ—जीतने का इच्छुक
जिघत्सा—स्त्री॰—-—अद् + सन् + अ, घसादेशः—खाने की इच्छा, बुभुक्षा
जिघत्सा—स्त्री॰—-—-—हाथपाँव मारना,
जिघत्सा—स्त्री॰—-—-—प्रबल उद्योग करना
जिघत्सु—वि॰—-—अद् + सन् + उ, घसादेशः—बुभुक्षु, भूखा
जिघांसा—स्त्री॰—-—हन् + सन् + अ + टाप्—मार डालने की इच्छा
जिघांसु—वि॰—-—हन् + सन् + उ—मार डालने का इच्छुक, घातक
जिघांसुः—पुं॰—-—-—शत्रु, वैरी
जिघृक्षा—स्त्री॰—-—ग्रह् + सन् + अ + टाप्—ग्रहण करने की या लेने की इच्छा
जिघ्र—वि॰—-— घ्रा + श, जिघ्रादेशः—सूँघने वाला
जिघ्र—वि॰—-—-—अटकलबाज, अनुमान लगाने वाला, निरीक्षण करने वाला
जिज्ञासा—स्त्री॰—-—ज्ञा + सन् + अ + टाप्—जानने इच्छा, कुतूहल, कौतुक या ज्ञानेप्सा
जिज्ञासु—वि॰—-—ज्ञा + सन् + उ—जानने का इच्छुक, ज्ञानेप्सु, प्रश्नशील
जिज्ञासु—वि॰—-—-—मुमुक्षु
जित्—वि॰—-—जि + क्विप्—जीतने वाला, परास्त करने वाला, विजय प्राप्त करने वाला
जित—भू॰क॰कृ॰—-—जि + क्त—जीता, अभिभूत, दमन किया