दुःख का अधिकार कहानी हमारे समाज में गरीब लोगों की मानसिक और आथिर्क स्थिति को उजागर करती है - स्पष्ट करें
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दुःख का अधिकार कहानी हमारे समाज में गरीब लोगों की मानसिक और आथिर्क स्थिति को उजागर करती है
दुःख का अधिकार कहानी कहानी यशपाल द्वारा लिखी गई है। दुःख का अधिकार कहानी हमारे समाज में गरीब लोगों की मानसिक और आथिर्क स्थिति को उजागर करती है |कहानी में समाज में फैले अंधविश्वास और ऊँचे-नीचे के भेद-भाव के बारे में बताया है | धनी लोगों के लिए सब सहानुभूति देते है और गरीब लोगों की मज़बूरी पर मजाक बनाते है | कहानी में जब एक बूढ़ी औरत का 23 वर्ष का बेटा मर जाता है | बूढ़ी औरत पर उसके घर की जिम्मेदारी आ गई थी | अपने परिवार के पोषण के लिए वह बाज़ार में खरबूजे बेचने जाती है | सभी लोग उसका मज़ाक बनाते है और कोई उससे कोई भी खरबूजे नहीं लेता | सभी लोग उसके बारे में बाते बना रहे होते है | वह रो रो कर बेहोश हो जाती है लेकिन उसे फिर भी लोग उसकी कोई मदद नहीं करते |
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Dukh ka adhikar kahani ka saransh
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Explanation:
इस पाठ का शीर्षक दुःख का अधिकार सटीक एवं सार्थक है। ... दुःख की अनुभूति समाज का प्रत्येक वर्ग करता है परन्तु दुःख मनाने का अधिकार सबको नहीं है वह केवल सम्पन्न वर्ग को ही प्राप्त है क्योंकि उसके पास शोक मनाने के लिए सहूलियत भी है और समय भी। गरीब वर्ग की विवशता न तो उन्हें दु:ख मनाने की सुविधा प्रदान करती है न अधिकार।