देखी रूप लोचन lalchand har se janu nij Nidhi pahchane mein kaun sa ras hai
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देखि रूप लोचन ललचाने। हरसे जुन निज निधि पहिचाने।
इस पंक्तियों में ‘श्रृंगार रस’ प्रकट हो रहा है।
व्याख्या :
शृंगार रस की परिभाषा के अनुसार जब नायक या नायिका के मन में संस्कार रूप में रति या प्रेम का भाव उत्पन्न हो, तो वहां पर शृंगार रस प्रकट होता है। शृंगार रस दो भेदों में होता है। संयोग श्रृंगार और वियोग श्रंगार।
श्रंगार रस का स्थाई भाव रति है, ऊपर दी गई पंक्तियों में संयोग श्रृंगार रस का भाव प्रकट हो रहा है।
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