देखा विवाह आमूल नवल,
तुझ पर शुभ पड़ा कलश का जला
देखती मुझे तू हँसी मंद,
होठों में बिजली फैंसी स्पंद
उर में पर झूली छात्र सुदर
प्रिय की अशब्द मृगार-मुखर
तू खुली एक उच्छ्वास संग,
विश्वास स्तब्ध बैध अग-अग
नत नयनों से आलोक उतर ।
कॉपा अधरों पर थर-थरथर।।
देखा मैन, वह मूर्ति धीति
मर वसंत की प्रथम गांति-
Answers
Answered by
2
good..... keep creating
Answered by
2
Explanation:
देखा विवाह आमूल नवल,
तुझ पर शुभ पड़ा कलश का जला
देखती मुझे तू हँसी मंद,
होठों में बिजली फैंसी स्पंद
Similar questions