दिल्ली भारत की विदेश नीति के छः विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
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Explanation:
किसी भी अन्य देश के समान ही भारत की विदेश नीति का मुख्य और प्राथमिक उद्देश्य अपने ‘राष्ट्रीय हितों’ को सुरक्षित करना है।
उल्लेखनीय है कि सभी देशों के लिये ‘राष्ट्रीय हित’ का दायरा अलग-अलग होता है। भारत के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय हित के अर्थ में क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिये हमारी सीमाओं को सुरक्षित करना, सीमा-पार आतंकवाद का मुकाबला, ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, साइबर सुरक्षा आदि शामिल हैं।
अपनी विकास गति को बढ़ाने के लिये भारत को पर्याप्त विदेशी सहायता की आवश्यकता होगी। विभिन्न परियोजनाओं जैसे- मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्मार्ट सिटीज़, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, डिजिटल इंडिया, क्लीन इंडिया आदि को सफल बनाने के लिये भारत को विदेशी सहयोगियों, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, वित्तीय सहायता और टेक्नोलॉजी की ज़रूरत है।
उल्लेखनीय है कि हाल के कुछ वर्षों में भारत की विदेश नीति के इस पहलू पर नीति निर्माताओं ने काफी अधिक ध्यान दिया है।
विश्व भर में भारत का डायस्पोरा भी काफी मज़बूत है और तकरीबन विश्व के सभी देशों में फैला हुआ है। भारत की विदेश नीति का एक अन्य उद्देश्य विदेशों में रह रहे भारतीय को संलग्न कर वहाँ उनकी उपस्थिति का अधिकतम लाभ उठाना है, इसी के साथ उनके हितों को सुरक्षित रखना भी आवश्यक होता है।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि भारत की विदेश की मुख्यतः 4 महत्त्वपूर्ण उद्देश्य हैं:
भारत को पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से बचाना।
ऐसा वातावरण बनाना जो भारत के समावेशी विकास के लिये अनुकूल हो, जिससे देश में गरीब से-गरीब व्यक्ति तक विकास का लाभ पहुँच सके।
यह सुनिश्चित करना की वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज़ सुनी जाए और विभिन्न वैश्विक आयामों जैसे- आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, निरस्त्रीकरण और वैश्विक शासन के मुद्दों को भारत प्रभावित कर सके।
विदेश में भारतीय प्रवासियों को जोड़ना और उनके हितों की रक्षा करना।