Chinese, asked by swechha1, 1 year ago

दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहां तक उचित था- तै सरबउला बोल जिंदगी में कब देख ले लोट ? दुलारी के इस आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।




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Answered by Brainlyaccount
7
hai **




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dear friend *****






here is ur answer *****

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15 वर्षीय बालक टुन्नू पर लगाया था 2 जून उसे गीत में कह रहा था रनिया लड़ परमेश्वरी लोड अर्थात दुलारी नहीं आते तब लगाया जाता उन्होंने उसे कहा कि रानी तू प्रामिसरी नोट लेकर चली जा दुलारी की कहानी का आशय था कि तुम तो तालाब के सफेद बाघ की तरह हो तुम्हारा पिता यजमानी करके कोड़ी कोड़ी जोड़कर किसी तरह दृष्टि चला रहा है और तू मुझे प्रामिसरी नोट देने का वादा कर रहा है क्या तुमने स्वयं जिंदगी में नोट देखे हैं इसमें आज के युवा वर्ग के लिए भी संदेश है कि उन्हें अपने पिता की दृष्टि में साथ देना चाहिए उन्हें अपने पिता की कमाई को आवारागर्दी नहीं उड़ाना चाहिए.


जैसे - टुन्नू दुलारी के लिए दंगल में उसे नोट देने का वादा कर रहा था तथा आवारा की संगत में पड़ गया था क्योंकि सबकी किस्मत ऐसी नहीं होती उन्हें दुलारी जैसी समझदार तथा सुलझी हुई औरत मिली




I hope it's help you

swechha1: great
Answered by Anonymous
11
आज का युवा वर्ग भी अपनी योग्यिता और शिक्षा के अनुसार कार्य न करके बडे बडे सपने देखता है, दूसरो की नकल करता है और अपने आप को महान समझता है।

इस लोकगीत मे यह संदेश दिया गया है की दिखावा करने वाले को अंत मे पछताना पडता है।

आशा करता हँ यह उत्तर आपकी मदद करे।

demolitionkai56: how. ? why he gave subject : chinese
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