दो मित्र....... सागर में तूफान............ नौका टूटना........... प्राण बचाने के लिए तख्ते का सहारा.......... तख्ता एक का ही भार वहन कर पाता.......... अविवाहित मित्र का तख्ते को छोड़ना.......... माँ का ख्याल रखने का मित्र से कहना.............सीख। कहानी को उचित शीर्षक भी दो
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दिए गए मुद्दे पर कहानी लेखन निम्न प्रकार से किया गया है।
दो मित्र थे अजय और विजय। दोनों में बचपन से गहरी मित्रता थी।अब वे बड़े हो गए थे लेकिन उनकी मित्रता में कोई अंतर नहीं आया था। अजय का तो विवाह भी हो चुका था।
एक दिन छुट्टी के दिन दोनों ने नौका विहार करने की ठानी।दोनों नौका विहार के लिए पहुंचे।वे दोनों नाव में बैठे ,जैसे ही वे बीच समुद्र में पहुंचे, समुद्र में तूफ़ान उठा। लहरें ऊपर उठने लगी। उनकी नौका में पानी आने लगा व धीरे धीरे जलस्तर बढ़ गया और नौका टूट गई।
दोनों पानी में डूबने लगे, इतने में उन्हें एक लकड़ी का तख्ता दिखा, जिसे पकड़कर वे दोनों तूफान से बचने का प्रयत्न करने लगे परन्तु तख्ता दो व्यक्तियों का भार वहन नहीं कर पा रहा था।अब दोनों में से एक को तख्ता छोड़ना होगा, यह सोचकर विजय अजय से बोला कि तुम विवाहित हो , तुम्हारी पत्नी है एक बच्चा भी है। मैंने अभी तक विवाह नहीं किया है, तुम्हारा जीवित रहना अधिक आवश्यक है अतः मै तख्ता छोड़ रहा हूं, तुम मेरी मां का ख्याल रखना , वो अकेली पड़ जाएगी। अजय ने उसे रोकना चाहा परन्तु तब तक विजय समुद्र के तूफान में बह गया। अजय को बहुत दुख हुआ।
सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चे मित्र दुख में भी हमारा साथ नहीं छोड़ते तथा हमेशा हमारा भला चाहते है।
शीर्षक
इस कहानी का उचित शीर्षक होगा , " परोपकारी मित्र" ।
#SPJ3
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