दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा घर के अंदर कई दिनों के बाद
चमक उठीं घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद
इसके सम्पूर्ण व्य्याख्या
Answers
➲ ये पंक्तियां कवि ‘नागार्जुन’ द्वारा रचित कविता ‘अकाल और उसके बाद’ से ली गईं है, इस कविता और इन पंक्तियों से माध्यम से कवि ने अकाल और उसके बाद की स्थिति का भयावह चित्रण किया है। इन पंक्तियों की व्याख्या इस प्रकार है...
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा घर के अंदर कई दिनों के बाद
चमक उठीं घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद
व्याख्या ⦂ कवि कहता है कि कवि नागार्जुन कहते हैं कि घर में अनाज आने आया और फिर चूल्हा जला। आंगन से धुआं उठने लगा। पूरे घर के लोगों की आँखें चमक उठी। इन आँखों में घर के मनुष्य सदस्यों की आँखों के अलावा घर के अन्य छोटे-मोटे जीव जंतु जैसे कुत्ते, छिपकली, चूहों, कौओं की आँखें भी थीं, क्योंकि सभी के लिए वह अनाज जीवनदायी था। कौए ने कई दिनों के बाद कुछ लोगों की जूठन का कर अपनी चोंच पोंछने के लिए अपने पंखों को फैलाया।
◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌