दोनो बैलों का दिल क्यों भारी हो रहा था?
Answers
Answer:
दो बैलों के बारे में है जो की अपने मालिक से बेहद लगाओ रखते है और उनमे आपस में भी घनिष्ठ मित्रता होती हैं। दोनों बैल बहादुर, परोपकारी और स्वाभिमानी होते हैं। उनका मालिक भी उनको बहुत स्नेह से रखता है। लेकिन एक बार बात है उन दोनों बैलों को उसके मालिक के ससुराल में भेज दिया जाता है। मगर नये स्थान पे उचित सम्मान न मिलने के कारण वहाँ से दोनों बैल भागकर अपने मुल मालिक के पास आ जाते हैं। मगर उन दोनों को दोबारा नये ठिकाने पर भेज दिया जाता है। जब वे वहां से दोबारा भागने की कोशिश करते हैं तो फिर दोनों बैल कई मुसीबतों में फँस जाते हैं। आखिर में उनदोनों बैलों को किसी कसाई के हाथ नीलाम कर दिया जाता है। लेकिन दोनों बैल उस कसाई के चंगुल से छूटने में कामयाब हो जाते हैं और आख़िर में अपने असली मालिक के पास पहुँच जाते हैं। मुंशी प्रेमचंद के द्वारा यह कहानी बड़ी ही रोचक और सरल भाषा में लिखी गई है।
Answer:
दो बैलों के बारे में है जो की अपने मालिक से बेहद लगाओ रखते है और उनमे आपस में भी घनिष्ठ मित्रता होती हैं। दोनों बैल बहादुर, परोपकारी और स्वाभिमानी होते हैं। उनका मालिक भी उनको बहुत स्नेह से रखता है। लेकिन एक बार बात है उन दोनों बैलों को उसके मालिक के ससुराल में भेज दिया जाता है। मगर नये स्थान पे उचित सम्मान न मिलने के कारण वहाँ से दोनों बैल भागकर अपने मुल मालिक के पास आ जाते हैं। मगर उन दोनों को दोबारा नये ठिकाने पर भेज दिया जाता है। जब वे वहां से दोबारा भागने की कोशिश करते हैं तो फिर दोनों बैल कई मुसीबतों में फँस जाते हैं। आखिर में उनदोनों बैलों को किसी कसाई के हाथ नीलाम कर दिया जाता है। लेकिन दोनों बैल उस कसाई के चंगुल से छूटने में कामयाब हो जाते हैं और आख़िर में अपने असली मालिक के पास पहुँच जाते हैं। मुंशी प्रेमचंद के द्वारा यह कहानी बड़ी ही रोचक और सरल भाषा में लिखी गई है।
Explanation: The answer is Given above