दीनानाथ भीड़ में खोया आदमी चरित्र-चित्रण
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श्यामलाकांत जी के बड़े लड़के दीनानाथ को पढ़ाई पूरी किए दो साल हो गए हैं, पर वह अभी भी नौकरी की तलाश में इधर उधर धक्के खा रहा है। हजारों व्यक्ति नौकरी की तलाश में है ।
Explanation:
दीनानाथ भीड़ में खोया आदमी चरित्र-चित्रण:
भीड़ में खोया आदमी निबंध का विषय दिन प्रतिदिन बढ़ती जनसंख्या है। जैसा कि हम सब जानते हैं लगातार बढ़ती जनसंख्या किसी एक देश तक सिमित नहीं है, अपितु सम्पूर्ण मानव जाति के अस्तित्व के लिए के बहुत बड़ा संकट का कारण बन चुकी है। अतः लेखक ने इस निबंध के माध्यम से इस सामाजिक संकट की ओर सबका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की किया है।
भीड़ में खोया आदमी कहानी का उद्देश्य: लगातार बढ़ती जनसँख्या के प्रति जनता का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश है । लेखक ने , अपने अपने मित्र श्यामलाकांत के परिवार के माध्यम से बढ़ती हुई जनसंख्या से पैदा होने वाले संकटों और समस्याओं की ओर लेखक का ध्यान आकर्षित करवाने की कोशिश की है, घरों, दफ्तरों, राशन की लाइनों, स्टेशनों, सड़कों आदि का उदाहरण देकर यह समझने की कोशिश की है कि बढ़ती हुई आबादी के लिए ज्यादा आवास , अन्य तथा रोजगार के अवसर चाहिए पर दुर्भाग्यवश ये देश में साधन सीमित है । यहाँ लेखक जनसंख्या को सीमित करने के लिए परिवार को सीमित करने का संदेश देने में पूर्णत: सफल हुआ है।. भीड़ में खोया आदमी |