दाने तपसि शौर्ये च विज्ञाने विनये नये ।
विस्मयो न हि कर्त्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा ।। 3 । explain in hindi
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दाने तपसि शौर्ये च विज्ञाने विनये नये । विस्मयो न हि कर्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा॥ भावार्थ : मानव-मात्र में किभी भी अहंकार की भावना नहीं रहनी चाहिए बल्कि मानव को दान, तप, शूरता, विद्वता, शुशीलता और नीतिनिपुर्णता का कभी अहंकार नहीं करना चाहिए । please Mark me as BRAINLIEST Answer
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दान मे , तपस्या मे, विशेष ज्ञांन मे और नीति मे निश्चय हि आश्रये नहीं करना चाहिए । पृथ्वी बहत रत्नों वाली है। अथोत् पथ्वी मे बहुत से ऐसे रत्न भरे हुए है।
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