२ दुनिया का
मेरे बाल्यकाल में पुस्तकें एक दुर्लभ वस्तु की तरह हुआ करती थीं। हमारे
यहाँ स्थानीय स्तर पर एक पूर्व क्रांतिकारी या कहिए, उग्र राष्ट्रवादी एस.टी.आर.
मानिकम का निजी पुस्तकालय था। उन्होंने मुझे हमेशा पढ़ने के लिए
उत्साहित किया । मैं, अक्सर उनके घर से पढ़ने के लिए किताबें ले आया करता
था।
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nice line
keep it up
and all the best
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