दोपहर का भोजन कहानी का प्रति भाव अपने शब्दों में लिखिए
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बाप और दोनों बेटे काम की तलाश में दर-दर भटकने पर भी कोई काम नहीं पाते । परिणामस्वरूप उस परिवार को गरीबी, बेकारी और भूखमरी का शिकार होना पडता है। केवल दोपहर के भोजन पर रहनेवाला यह परिवार आर्थिक दुरवस्था की कहानी बन गया है। इसमें लेखक ने मध्यवर्गीय समाज की यथार्थता को मार्मिकता से उजागर किया है।
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बाप और दोनों बेटे काम की तलाश में दर-दर भटकने पर भी कोई काम नहीं पाते । परिणामस्वरूप उस परिवार को गरीबी, बेकारी और भूखमरी का शिकार होना पडता है। केवल दोपहर के भोजन पर रहनेवाला यह परिवार आर्थिक दुरवस्था की कहानी बन गया है। इसमें लेखक ने मध्यवर्गीय समाज की यथार्थता को मार्मिकता से उजागर किया है।
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