‘दीपदान’, एकांकी के आधार पर पन्ना धाय का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
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➲ ‘दीपदान’, एकांकी के आधार पर पन्ना धाय का चरित्र-चित्रण...
- पन्नाधाय एक स्वामीभक्त और राष्ट्रभक्त महिला थी, वह अपने राष्ट्र के सम्मान के लिए और अपने स्वामी के पुत्र की रक्षा के लिए अपने स्वयं के पुत्र के प्राणों की बाजी लगाने से भी नहीं चूकी।
- पन्नाधाय त्याग और बलिदान की मूर्ख साक्षात मूर्ति थी। उसने अपने स्वामीपुत्र की रक्षा के लिए अपने स्वयं के पुत्र का बलिदान कर दिया। यह उदाहरण उसके त्यागमयी चरित्र को प्रकट करता है।
- पन्नाधाय एक वीरांगना स्त्री थी। अपने कर्तव्य पालन के लिए वह शत्रु से लड़ने से जरा भी हिचकती नहीं है और बनवीर से भी डटकर मुकाबला करती है।
- पन्नाधाय धैर्य से परिपूर्म महिला थी। अपने पुत्र का वध अपनी आँखों के सामने होते देखकर भी उसने उफ तक नहीं की और धैर्य से अपने कर्तव्य का पालन करती रही।
- पन्नाधाय एक बुद्धिमान और दूरदर्शी स्त्री थी। वह बनवीर के षडयंत्र को भांप लेती है और उदय सिंह की सुरक्षा का बंदोबस्त करती है।
- पन्ना धाय एक साहसी महिला थी, जो अकेले अपने दम पर बनवीर का प्रतिरोध करती है।
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Answer:
प्रश्न 3.
इस एकांकी में निहित पन्ना धाय के त्याग व एकनिष्ठा के भाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
‘दीपदान’ एकांकी की प्रधान पात्र पन्ना धाय है। पन्ना धाय में अपूर्व बलिदान एवं त्याग की भावना है। उसके मन मानस में स्वामिभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। इसी भावना के वशीभूत होकर वह राजवंश के अन्तिम दीपक उदयसिंह की प्राण रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर देती है। उसके जीवन में कर्त्तव्यपालन सर्वोपरि है।
उसका त्याग अभूतपूर्व है। उसके त्याग में स्वार्थ की गन्ध नहीं है। राजवंश के उत्तराधिकारी उदयसिंह की प्राणरक्षा के लिए वह अपने इकलौते पुत्र चन्दन की बलि दे देती है। चन्दन को मौत की शैया पर सुलाते समय वह कहती है-“दीपदान! अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा में तैरा दिया है। ऐसा दीपदान भी किसी ने किया है?” निश्चय ही ऐसा दीपदान कोई भी नहीं कर सका। यह उसका अपूर्व त्याग था। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पन्ना धाय में एकनिष्ठ स्वामिभक्ति की भावना एवं अपूर्व त्याग था।