Hindi, asked by Abhayrajsharma89671, 10 months ago

दारोगा वंशीधर गैरकानूनी कार्यों की वजह से पंडित अलोपीदीन को गिरफ्तार करता है, लेकिन कहानी के अंत में इसी पंडित अलोपीदीन की सहृदयता पर मुग्ध होकर उसके यहाँ मैनेजर की नौकरी को तैयार हो जाता है। आपके विचार से वंशीधर का ऐसा करना उचित था? आप उसकी जगह होते तो क्या करते?

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Answered by Anonymous
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वंशीधर का एसा करना उचित नहीं था| मैं अलोपीदीन के प्रति कृतज्ञता दिखाते हुए उन्हें नौकरी के लिए मना कर देता क्योंकि लोगों पर जुल्म करके कमाई हुई बेईमानी की कमाई की रखवाली करना मेरे आदर्शो के विरुद्ध है|

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