दीर्घकालीन सीमांत लागत तथा औसत लागत वक्र कैसे दिखते हैं?
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दीर्घकालीन सीमांत लागत तथा औसत लागत वक्र
दीर्घकालीन सीमांत लागत तथा औसत लागत वक्र U आकर के दिखाई देते है| दीर्घकाल में एक फर्म के सीमांत लागत वक्र और औसत लागत वक्र पैमाने के प्रतिफल पर निर्भर करते है| पैमाने के प्रतिफल की तीन अवस्थाएँ होती है:
वर्धमान प्रतिफल , स्थिर प्रतिफल , हासमान प्रतिफल
वर्धमान प्रतिफल
एक उत्पादन फलन वर्धमान पैमाने के प्रतिफल को उस समय संतुष्ट करता है, जब कुल उत्पाद में उस अनुपात से अधिक वृद्दि होती है जी अनुपात में आगतों को बढ़ाया जाता है |
यदि उत्पादन आगतों को दुगना करने पर कुल उत्पादन दुगने से अधिक हो जाए तो उत्पादन फलन वर्धमान पैमाना को प्रतिफल संतुष्ट करता है|
उदाहरण : यदि आगतों को 100 प्रतिशत से बढ़ाया जाता है तो उत्पादन 100 प्रतिशत से अधिक बढ़ता है|
स्थिर प्रतिफल
एक उत्पादन फलन स्थिर पैमाने के प्रतिफल को उस समय संतुष्ट करता है, जब सभी आगतों की इकाइयों में निश्चित अनुपात में वृदि करने से कुल उत्पादन में भी उसी वृद्धि हो जाती है| यदि उत्पादन के सभी साधनों को दुगना करने पर उत्पादन भी दुगना हो जाए तो उत्पादन स्थिर पैमाना का प्रतिफल संतुष्ट करता है|
उदाहरण : यदि आगतों 100 प्रति शत से बढ़ाया जाता है , तो उत्पादन भी 100 प्रति शत से बढ़ता है|
हासमान प्रतिफल
यदि उत्पादन आगतों को दुगना करने पर कुल उत्पादन दुगने से कम हो जाए , तब उत्पादन फलन हासमान पैमाना का प्रतिफल को संतुष्ट करता है| एक उत्पादन फलन हासमान पैमाने के प्रतिफल को उस समय संतुष्ट करता है , जब कुल उत्पाद में उस अनुपात से कम वृद्दि होती है, जिस अनुपात में आगतों को बढ़ाया जाता है|
उदाहरण : यदि आगतों को 100 प्रतिशत से बढ़ाया जाता है तो उत्पादन 100 प्रतिशत से कम बढ़ता है|
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