Sociology, asked by aakashparteti7389, 7 months ago

दुर्खीम के आत्महत्या के प्रकारों का वर्णन​

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Answered by akhilesh1415ac
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फ्रांस के सामाजिक विचारकों में दुर्खीम को ऑगस्ट कॉम्ट का उत्तराधिकारी माना जाता है। क्योंकि दुर्खीम ने समाजशास्त्र को वैज्ञानिक धरातल प्रदान किया। इनका जन्म 15 अप्रैल 1858 सन् में पूर्वी फ्रांस के लॉरेन प्रान्त में स्थित एपिनाल (Epinal) नामक नगर में एक महूदी परिवार में हुआ था। इनके पारिवारिक व शैक्षणिक जीवन के बाद इन्होंने अनेक सिद्धांत समाजशास्त्र में प्रतिपादित किये। उनमें से आत्महत्या का सिद्वांत एक प्रमुख सिद्वांत है जिसका विवरण निम्न है- दुर्खीम द्वारा प्रतिपादित पुस्तक Le suicide (The suicide) सन् 1897 में प्रकाषित हुई जिसमें आत्महत्या के सिद्धांत के बारे में उल्लेख है। इस पुस्तक में सर्वप्रथम आत्महत्या के अर्थ को समझाया गया है। सामान्य रूप से पूर्व में यह समझा जाता है कि व्यक्ति के स्वयं के प्रयत्नों द्वारा घटित मृत्यु ही आत्महत्या है, लेकिन दुर्खीम इस सामान्य अर्थ को अस्वीकार करते हैं और कहते हैं कि हम आत्महत्या को एक ऐसी मृत्यु की संज्ञा दे सकते हैं, जोकि किसी विषेश उद्देय के लिए घटित हुई हो। लेकिन ऐसा कहने में हमारे समक्ष सबसे बड़ी समस्या यह है कि आत्महत्या करने के पश्चात आत्महत्या करने वाले के उद्देश्य के विषय में जानकारी किस प्रकार प्राप्त की जाए। इन्हीं तथ्यों को ध्यानान्तर्गत रखकर दुर्खीम ने आत्महत्या को समाजशास्त्रीय प्रारूप में इस प्रकार परिभाषित किया कि ‘‘आत्महत्या शब्द का प्रयोग उन सभी मृत्युओं के लिए किया जाता है जोकि स्वयं मृत व्यक्ति के किसी सकारात्मक या नकारात्मक ऐसे कार्य के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष परिणाम होते हैं जिनके बारे में वह व्यक्ति जानता है कि वह कार्य इसी परिणाम अर्थात मृत्यु को उत्पन्न करेगा।

अत: उपर्युक्त उल्लेखित पुस्तक में दुर्खीम ने बहुत से आंकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट किया कि आत्महत्या किसी व्यक्तिगत कारण का परिणाम नही होती अपितु यह एक सामाजिक तथ्य है। जोकि सामाजिक क्रियाओं का परिणाम है। अत: आप यहा आत्महत्या के अर्थ से भली भॉति परिचित हो गये होगें।

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