Hindi, asked by kajolkumari717, 7 months ago

द्रौपदी औ गनिका, गज, गीध, अजामिल सौं कियो सो न निहार
गौतम-रोहिनी कैसे तरी, प्रह्लाद कौ कैसे हर्यो दु:ख भारौ।
काहे को सोच करै रसखानि, कहा करिहै रविनंद बिचारौ
ता खन, जा खन राखिये, माखन-चाखन हारौ सो राखन हारौ
Bhavarth​

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Answered by franktheruler
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दिए गए कव्यांश का भावार्थ निम्न प्रकार से लिखा है

  • संदर्भ : ये पंक्तियां रसखान द्वारा लिखित है। " संत साहित्य में ईश्वरीय विषम व्यवहार कारण " विषय से लिया गया है।

  • प्रसंग : ईश्वर के अकारण दयालु होने में कवि रसखान भक्ति गुण ढूंढ़ते है

  • व्याख्या :
  • कवि रसखान बताते है कि द्रौपदी, गीध व गणिका गज व अजामिल ने क्या किया ? यह नहीं देखा तथा यह भी नहीं सोचा कि उनका उद्धार किया जाना चाहिए या नहीं ।

परम दयालु श्री कृष्ण ने कुछ भी नहीं सोचा व

पलभर में उनकी सारी पीड़ाएं दूर कर दी तथा

उनका उद्धार कर दिया।

  • यह क्या किसी को बताने की आवश्यकता है कि गौरम ऋषि की पत्नी अहिल्या को कितनी बार सहजता से तार दिया, प्रहलाद का दुख पलभर में दूर कर दिया।
  • श्री कृष्ण कारण दयालु है।

वे दुख हर्ता है। जिनके साथ श्री कृष्ण है उन्हें

चिंता करने की क्या आवश्यकता है?

  • श्री कृष्ण जिनके रक्षक है उनका यमराज भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

#SPJ1

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