दुरजन हंसे न कोय, चित्त में खेद न पाये। कह गिरधर कविराय, यहै कर मन पर तीती। आगे की सुधि लेय, समुझि बीती सो कीती॥ न्य उदाहरण- ) बिना विचारे जो करे सो पाछे पछि ताय। काम बिगारे आपनो जग में होत हंसाय।। जग में होत हंसाय, चित्त में चैन न पावै। खान-पान-सम्मान राग रंग मनहि न भावै।। कह गिरिधर कविराय, दु:ख कछु टरत न टारे। खटकत है जिय माँहि, कियो जो बिना इस छंद में लागू हुआ गुरु मात्रा का प्रयोग कीजिए इस छंद में लघु गुरु मात्रा का प्रयोग कीजिए es chand me matra ka prayog kijiye
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क्षितिज समांतर हालचाली
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