दूरदर्शन के कार्यक्रमों की गुणवत्ता पर पिता-
पुत्री के मध्य हुई वार्ता की संवाद रूप में
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संवाद -लेखन
पिता- सुधा टेलीविजन पर क्या कार्यक्रम देखती रहती हो ?
सुधा- पिताजी मैं सावधान इंडिया देख रही थी।
पिताजी - बेटा मुझे तुम्हारा यह उल्टे सीधे कार्यक्रम देखना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है आजकल के कार्यक्रमों में सब कुछ गलत ही दिखाते हैं।
सुधा - नहीं पिता जी ऐसा नहीं है कुछ कार्यक्रम बहुत ही अच्छे होते हैं
पिताजी -हां बेटा पर हमारे समय के जितने अच्छे नहीं होते
सुधा- ऐसा क्या और क्यों है पिताजी
पिताजी -बेटा हमारे समय में दूरदर्शन हुआ करता था जिस पर केवल भारतीय सभ्यता और संस्कृति के कार्यक्रम भी दिखाई जाते थे जब से केबल टीवी आया है तब से हमारी संस्कृति का हनन हो रहा है
क्या मतलब पिताजी
पिताजी -बेटा तुम आज भी दूरदर्शन के कार्यक्रम देखो उनमें एक गुणवत्ता होती है क्वालिटी होती है जबकि जितने भी बाकी चैनल है वह सब विदेशी संस्कृति की होड़ में अश्लीलता परोस रहे हैं
सुधा - तो पिताजी इसे कैसे रोका जा सकता है?
पिताजी -बेटा यह तो दूरदर्शन के कार्यक्रम दिखाने वाले पर निर्भर करता है वह न जाने क्यों ऐसे कार्यक्रम दिखाने की छूट दे देते हैं जिनका यथार्थ से दूर-दूर तक वास्ता नहीं होता है
सुधा तो पिताजी क्या कोई ऐसी कमेटी नहीं है जो यह निर्धारित करें कि हमारे देश में किस तरह के कार्यक्रम दिखाई जाए
पिताजी -सब कुछ है लेकिन लोग लालच में या अपने आप को आधुनिक दिखाने के चक्कर में किसी भी तरह की कार्यक्रम परोस देते हैं इसका छोटे बच्चों के मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है तुम देख रही हो कि आजकल छोटी छोटी बातों पर लड़कियां तलाक लेकर मां बाप के घर आ जाती है या ससुराल में कम और मायके में ज्यादा रहती है यह सब उसी संस्कृति का कमाल है जो हम धारावाहिकों में प्रतिदिन देख रहे हैं से लड़कियां उद्दंड हो रही है छोटे बच्चे कहना नहीं मानते हैं सब को पैसा चाहिए होता है चाहे वह किसी भी तरीके से आए
सुधा पिता जी आप सही कह रहे हैं क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम टेलीविजन वालों को पत्र लिखकर कहें कि वह ऐसे कार्यक्रम दिखाएं जैसे दूरदर्शन पर दिखाए जाते हैं और उनकी गुणवत्ता का भी ध्यान रखें
पिताजी- तुम्हारा सुझाव बहुत अच्छा है बेटा तुम्हें अवश्य ही एक पत्र लिखकर अपने विचार उन लोगों तक जाने चाहिए हो सकता है की अन्य विदेशी चैनलों पर दिखाए जाने वाले सभी कार्यक्रमों पर नकेल लग जाए।
सुधा- पिता जी मैं कोशिश तो अवश्य ही करूंगी अगर हम आज भी बच्चे ही गलत देखेंगे सीखेंगे तो देश का भविष्य कैसे बना पाएंगे
पिताजी -शाबाश मेरी बेटी मुझे तुमसे ऐसी ही उम्मीद थी।
Explanation:
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